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अब पति पत्नी तक सुरक्षित नही, पुलिस ने नही लगाई अपहरण की धाराएं
शिमला क्राइम न्यूज़: हिमाचल में अपराध किस कदर बढ़ चुका है इस बात का पता इस बात से लग जाता है कि अब यहां पति पत्नी तक सुरक्षित नही है। कोई भी अपराधी किसी की भी पत्नी को किडनैप कर सकता है और पुलिस उसमें कोई कार्यवाही नहीं करती। अगर कार्यवाही की जाती है तो पुलिस इतनी कमियां छोड़ देती है कि अपराधी आराम से सुरक्षित हो जाता है। ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से निकल कर सामने आया है, जहां अरुण नाम का एक युवक अपनी पत्नी नेहा के साथ रात को चंडीगढ़ से अपने घर बिलासपुर आ रहा था। रास्ते में मोहित और शरवन नाम के युवाओं ने अरुण की कार के आगे अपनी गाड़ी लगा कर दोनों पति पत्नी की कार को जामली नामक स्थान पर रोक दिया। उसके बाद मोहित और शरवन नाम के व्यक्ति ने अरुण और उसकी पत्नी नेहा पर डंडों से जानलेवा हमला किया। जिसमें अरुण को भारी चोटें आई है। जानकारी के मुताबिक मोहित और शरवन ने अरुण को ढांक से मरने के लिए फेंक दिया था। इतना ही नही युवकों ने अरुण की कार के साथ भी तोड़फोड़ की। अरुण के साथ मारपीट और उसको ढांक से फेंकने के बाद मोहित और शरवन उसकी पत्नी नेहा को साथ लेकर फरार हो गए।
जानकारी के मुताबिक इस मामले में बिलासपुर पुलिस ने 341, 323 व 427 आईपीसी में मामला दर्ज किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस अरुण की पत्नी का अपहरण होने के बाबजूद अरुण की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ अपहरण की धाराओं में मामला दर्ज नही किया। बिलासपुर पुलिस की उपरोक्त कार्यवाही से साफ जाहिर होता है कि पुलिस ने अपराधियों को बचाने के लिए मामूली धाराएं लगाई है। पुलिस का कहना है कि विवाहिता ने लव मैरिज की थी और उसको ले जाने वाले उसके भाई थे और उनके खिलाफ विवाहिता को जबरदस्ती बलपूर्वक ले जाने अर्थात अपहरण का मामला नही बनता। जबकि कानूनन किसी की पत्नी को कोई जबरदस्ती, बलपूर्वक, मारपीट या हमला कर नही ले जा सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी 363 में मामला दर्ज होता है।
आपको बता दें कि किडनैप की गई विवाहिता नेहा ने उच्च न्यायालय में पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन किया था और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने विवाहित दंपति को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश भी दिया था। लेकिन इस दंपति को पुलिस ने कभी भी कोई भी सुरक्षा नही दी। इस मामले में बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पूरी तरह संदिग्ध है। पुलिस की कार्यप्रणाली से परेशान युवक और उसके परिजन एक बार फिर उच्च न्यायालय में गुहार लगाने गए है।