हिमाचल प्रदेश

अब हिमखंड गिरने से दो घंटे पहले मोबाइल पर आएगा अलर्ट, डीजीआरई अर्ली वार्निंग सिस्टम करने जा रहा स्थापित

Renuka Sahu
21 March 2022 4:32 AM GMT
अब हिमखंड गिरने से दो घंटे पहले मोबाइल पर आएगा अलर्ट, डीजीआरई अर्ली वार्निंग सिस्टम करने जा रहा स्थापित
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भारी बर्फबारी के बाद मौसम साफ होते ही हिमखंडों का गिरना शुरू हो जाता है, जिससे कई बार भारी जानमाल का नुकसान भी होता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारी बर्फबारी के बाद मौसम साफ होते ही हिमखंडों का गिरना शुरू हो जाता है, जिससे कई बार भारी जानमाल का नुकसान भी होता है। अब इससे बचा जा सकता है, क्योंकि अब हिमखंड गिरने की पूर्व सूचना व चेतावनी दो घंटे पहले लोगों के मोबाइल में एसएमएस के माध्यम से आएगी। लाहौल-स्पीति प्रशासन और रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान एवं विकास केंद्र डीजीआरई घाटी के दालंग में इसके लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने जा रहा है। आगामी सर्दी का मौसम आने से पहले यह परियोजना तैयार हो जाएगी।


दालंग में लगने वाली अत्याधुनिक तकनीक की ऑब्जरवेटरी सॉफ्टवेयर के माध्यम से आसपास के दस किलोमीटर के दायरे के मोबाइल टावरों से जुड़ी होगी। इससे हिमखंड गिरने के दो घंटे पहले ही इस दायरे के अंतर्गत मोबाइल टावरों से जुडे़ लोगों तक एसएमएस से इसकी जानकारी पहुंच जाएगी। हिमाचल प्रदेश में हिमखंड गिरने की शीघ्र सूचना देने वाला यह पहला प्रोजेक्ट होगा। लाहौल घाटी हिमखंड गिरने के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानी जाती है। हाल ही में घाटी के पागलनाला में हिमखंड गिरने से एक वाहन बर्फ में दब गया था। हालांकि इस घटना में सभी लोग सुरक्षित बचा लिए गए थे।
केस स्टडी के लिए चुना दालंग का पूरा पहाड़
लाहौल प्रशासन ने इसके लिए दालंग के पूरे पहाड़ को केस स्टडी के लिए चुना है। इस इलाके में हिमखंड गिरने का सबसे अधिक खतरा रहता है। बर्फ पिघलते ही यहां पर इस महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य शुरू किया जाएगा। उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए डीजीआरई से जिला प्रशासन की बात हुई है।
पहले प्रशासन व डीजीआरई के पास पहुंचेगी सूचना
सबसे पहले हिमखंड गिरने के पूर्वानुमान की चेतावनी जिला प्रशासन और डीजीआरई के पास पहुंचेगी। उसके बाद इलाके के मोबाइल टावरों के दायरे में आने वाले मोबाइल फोन पर ऑटोमेटिक मैसेज पहुंच जाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण में भी होगी चर्चा
मनाली स्थित डीजीआरई के सभागार में 21 से 25 मार्च तक भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर मंथन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर होगा, जिसमें इस परियोजना पर भी चर्चा होगी। उपायुक्त ने बताया कि इस प्रशिक्षण में अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। डीजीआरई के निदेशक भी मौजूद रहेंगे।
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