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नादौन। रविवार को हुई मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। लगातार बारिश से लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित हो गई। उपमंडल नादौन के कई क्षेत्रों में बारिश का पानी गाद सहित घरों में घुस गया। इससे लोगों का घरेलू सामान तो खराब हुआ ही, साथ ही कमरों की हालत भी खराब हो गई। ल्हासे गिरने से कई संपर्क मार्ग अभी तक खुल ही नहीं पाए थे कि और ल्हासे सड़कों पर गिर गए। रविवार को ब्यास नदी में जलस्तर इतना बढ़ गया कि हाल ही में करोड़ों रुपए की लागत से बनाई गई सड़क बाढ़ की भेंट चढ़ गई। वहीं कोहला के इंडस्ट्रीयल एरिया में पानी घुसने से उद्यमियों का करोड़ों रुपए का नुक्सान हो गया। ब्यास नदी में से रेत-बजरी लेने आए ट्रैक्टर-ट्राली चालकों ने नदी का रौद्र रूप देखकर भागने में ही भलाई समझी।
प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों के किनारे न जाने की अपील की है लेकिन प्रशासन की चेतावनी के बावजूद कुछ लोग नदी में बहकर आ रही लकड़ियों को निकालने का जोखिम उठा रहे हैं। ब्यास नदी में पानी आने से नदी किनारे जल शक्ति विभाग की पेयजल स्कीमें जलमग्न हो गई हैं जिससे क्षेत्र में पेयजल सप्लाई बाधित रही। वर्षा का पानी पंप हाऊसों में घुसने से मशीनें भी खराब हो गई हैं। वर्षा के कारण नादौन के आसपास के लगभग दर्जन भर संपर्क मार्ग ल्हासे गिरने व भूस्खलन के कारण बंद रहे। लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी सड़कों को ठीक करने में लगे रहे। बंद संपर्क मार्गों से यातायात को बदला गया है। लगातार बारिश से लोक निर्माण विभाग, विद्युत विभाग तथा जल शक्ति विभाग विभाग को लाखों का नुक्सान हो चुका है। एसडीओ रविंद्र इंदौरिया ने कहा कि बारिश से स्कीमों को हुए नुक्सान की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी जाएगी और शीघ्र्र पेयजल व्यवस्था सुचारू रूप से बहाल करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि ब्यास नदी के किनारे बनी पेयजल की स्कीमें डब्लू, टीका बेला, बड़सर-मैहरे, अमतर बेला जलमग्न हो गई हैं। ब्यास नदी के किनारे पानी उठाने के लिए लगाई गई पाइपें तेज पानी के बहाव में बह गईं। पम्प हाऊस में भी पानी घुस गया जिससे मशीनें पानी में डूब गईं। उन्होंने बताया कि पेयजल आपूर्ति को बहाल करने में 5-6 दिन लग जाएंगे।
खड्डों व नदियों के किनारे की उपजाऊ भूमि में नकदी फसलें भी बारिश की भेंट चढ़ गईं। कोहला, भरमोटी, फतेहपुर, रैल व बलडूहक में किसानों की नकदी फसलों को नुक्सान पहुंचा है। क्षेत्र में लगभग 1500 एकड़ में फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों ने सरकार से फसलों के नुक्सान के लिए मुआवजे की मांग की है। वहीं बारिश के कारण ही नादौन से कांगू, गलोड़, सलोणी वाला मार्ग पेड़गिरने से बंद हो गया। इसके अतिरिक्त नादौन के स्थानीय बाजार में भी जलभराव से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं बड़सर उपमंडल के अधिकांश क्षेत्रों में 2 दिन से लगातार हो रही बारिश से जगह-जगह सड़कों के टूटने और भूस्खलन होने से डंगे बह गए हैं तथा सड़कों के किनारे लहासे गिरने से ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों में आवाजाही प्रभावित हो गई है। बता दें कि कई गांवों में लोगों के घरों और पशुशालाओं में पानी भर गया है, वहीं कई कच्चे मकानों में दरारें आने से खतरा उत्पन्न हो गया है। बड़सर के पास भूस्खलन होने से एक डंगे के क्षतिग्रस्त होने से सड़क किनारे खड़ी एक टाटा सूमो का काफी नुक्सान हुआ है। हार बुम्बलू के पास डंगागिरने से एन.एच.-503ए में दरारें आने से सड़क का काफी हिस्सा बह गया है। बिझड़ी-घोड़ी-धबीरी सड़क में समेला मोड़ के पीछे लहासे गिरने से बड़े वाहनों की आवाजाही अवरुद्ध हो गई है। महारल-समेला, सठबीं, दखयोड़ा, मगरयाणा, चलेली, बाड़ा से धंगोटा वाया सूदर नंडल सड़क पर लहासे गिरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खेतों में पानी भर जाने से मक्की की फसल को भी नुक्सान पहुंचा है।
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Shantanu Roy
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