हिमाचल प्रदेश

भू-स्खलन को देखते हुए एनएचएआई उठाएगा कदम, बदलेगी पठानकोट-मंडी एनएच की ड्राइंग

Renuka Sahu
26 Aug 2022 3:34 AM GMT
NHAI will take steps in view of landslides, the drawing of Pathankot-Mandi NH will change
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फाइल फोटो 

नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पठानकोट-मंडी एनएच में बड़ा बदलाव करेगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) पठानकोट-मंडी एनएच में बड़ा बदलाव करेगी। भारी बरसात से उखड़े एचएच और लगातार बढ़ती ढलानों को देखते हुए एनएचएआई इस बारे में कदम उठाने जा रही है। कोटरूपी में एनएच को दूसरी तरफ मोडऩे की संभावनाएं तलाशी जा रही है, जबकि अन्य जगहों पर जहां सडक़ तंग है और आसपास गहरी ढांक है, वहां भी मार्ग में आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं। केंद्र से पहुंची एनएचएआई की टीम ने इस बदलाव का सुझाव दिया है। हालांकि इसे अब कई दौर की बैठकों के बाद सिरे चढ़ाया जाएगा। दरअसल, बीते दिनों भारी बरसात में मंडी समेत कांगड़ा जिला में भारी नुकसान झेलना पड़ा है और इस नुकसान की वजह से एनएच कई जगह बाधित हुआ है। इस पूरे मार्ग पर करीब 40 जगह भू-स्खलन हुआ था। इसके बाद एनएचएआई ने पठानकोट से मंडी तक समूचे एनएच का मुआयना किया।

कोटरूपी में भारी तबाही सामने आई है, यहां करीब 250 मीटर मार्ग भू-स्खलन में बह गया है। एनएच पर 40 मीटर गहरी खाई बन गई है। समूचा क्षेत्र पूरी तरह से दलदल में बदल गया है। एनएच एक्सपर्ट कमेटी ने इस जगह दोबारा मार्ग न बनाने की सलाह दी है और इसी सलाह पर अमल करते हुए अब एनएचएआई फोरलेन बनाते समय मार्ग की लाइन बदलने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा इसी नेशनल हाइवे पर कुठुमां, चंबी, ठानपुरी, लधरूं, नागचला, छानाग, खानी नाला, घटासनी, उरला, गवाली, पधर, नारला और पाखरी में भी भू-स्खलन हुए हैं। एनएचएआई की टीम ने इन जगहों की भी जांच की है। (एचडीएम)
भू-स्खलन वाली जगह से बचने का प्रयास
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि बरसात से प्रदेश भर में एनएच को भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आकलन किया जा रहा है। जिन जगहों पर हाइवे धंसे हैं, वहां इनकी दिशा बदलने पर विचार-विमर्श चल रहा है। इसमें मुख्य रूप से पठानकोट-मंडी एनएच में कोटरूपी में एनएच की दिशा बदलने पर चर्चा हुई है। जहां भू-स्खलन से मार्ग धंसा है, वहां दोबारा एनएच बनाना मुश्किल हो सकता है। भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। फोरलेन के निर्माण के समय भू-स्खलन वाली जगहों से बचने का प्रयास जरूर होगा।
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