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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
महिला आईपीएस अधिकारियों, अर्द्धसैनिक बलों और महिला पुलिस अधिकारियों के दो दिवसीय 10 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने की आवश्यकता है।
देश की महिला आईपीएस अधिकारियों, अर्द्धसैनिक बलों और महिला पुलिस अधिकारियों के दो दिवसीय 10 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने की आवश्यकता है। सम्मेलन में महिलाओं से जुड़े विषय सामने आते हैं। वह विषय केवल यहीं तक नहीं बल्कि इनका क्षेत्र स्तर पर कार्यान्वित होता है। राज्यपाल ने कहा कि लिंग भेद केवल प्राकृतिक विषय है लेकिन अवसर और सोच में समानता होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पुलिस बल में महिलाओं की 25 फीसदी शामिल होने का प्रावधान किया गया है जबकि वर्तमान पुलिस विभाग में केवल 14 फीसदी महिलाएं ही शामिल होती थीं। यह लैंगिक भेदभाव के कारण नहीं है बल्कि अवसर न मिलने के कारण है। उन्होंने कहा कि सोच बदलने से चुनौतियां व समस्याएं अपने आप हल हो जाती हैं। महिला पुलिस अधिकारी को समाज अलग दृष्टि से देखता है और उनसे ज्यादा अपेक्षा रखता है। उन्होंने पूर्व पुलिस अधिकारी किरन बेदी का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के अनुरूपक और लोगों की भावनाओें के अनुसार कार्य करने से सम्मान और बढ़ जाता है।
महिलाओं की वर्दी, बुनियादी ढांचे चुनौतियों पर हुआ मंथन
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक बाला जी श्रीवास्तव ने कहा कि महिला कर्मियों की संख्या पुलिस बलों में तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि शिमला में आयोजित इस सम्मेलन के दौरान पुलिस में महिलाओं की अनुकूल सोच, उनकी वर्दी, बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी उपायों, प्रतिकूलताओं से निपटने की रणनीति, चुनौतियों और उनसे कैसे पार पाया जाए, जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। इससे पूर्व प्रदेश पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने राज्यपाल को सम्मानित किया। उन्होंने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंन कहा कि सम्मेलन में विभिन्न रैंकों की 220 महिला पुलिस अधिकारियों व कर्मियों ने भाग लिया।
समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए महिला सशक्तीकरण जरूरी
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए महिला सशक्तीकरण आवश्यक है। पुलिस बलों में महिलाओं की अधिक से अधिक उपस्थिति इस दिशा में उत्प्रेरक साबित हो सकती है। मुख्यमंत्री ने यह बात शिमला में महिला पुलिस अधिकारियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में रात्रि भोज कार्यक्रम के दौरान कही। जयराम ने कहा कि यह गर्व की बात है कि पिछले आठ वर्षों के दौरान देश भर के पुलिस और अन्य सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी में 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां अपराध दर बहुत कम है। बावजूद इसके राज्य की पुलिस कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए सदैव तत्पर रहती है। प्रदेश पुलिस ने न केवल प्रभावी कानून व्यवस्था सुनिश्चित की है, बल्कि देश के सबसे अनुशासित पुलिस बलों में भी जगह बनाई है। कार्यक्रम के दौरान प्रदेश पुलिस के महानिदेशक संजय कुंडू ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, मुख्य सचिव आरडी धीमान, बीपीआर एंड डी के महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव और अन्य उपस्थित रहे।
हिमाचल में 4000 यौन अपराधियों की पहचान
हिमाचल प्रदेश में यौन अपराधियों की पहचान हुई है। सभी पुलिस की निगरानी में हैं, ताकि यह अपराधी किसी महिला को फिर से नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करे। हिमाचल पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने कहा कि महिला सुरक्षा के प्रति पुलिस यौन अपराध, आत्महत्या के लिए उकसाने, अज्ञात शवों, लापता महिलाओं और बच्चों के अपराध के अलग-अलग रजिस्टर बनाए हैं। इससे मामले में जांच आसानी हो रही है। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अलग रजिस्टर बनाने के बाद 83 फीसदी महिलाएं, 93 फीसदी गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में पुलिस ने पीड़ितों और गवाह की सहायता शुरू की है। अभियोजन में तेजी लाने के लिए यह सब किया गया है। हिमाचल प्रदेश अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के कार्यान्वयन सहित अधिकांश राष्ट्रीय संकेतकों में शीर्ष पर रहा है। वीरांगना ऑन व्हील्स पहल से महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है। उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से आग्रह किया है कि उन्हें अपने डाटा तक सीमित पहुंच की अनुमति दे दी जाए, ताकि अज्ञात शवों की पहचान करने में मदद मिल सके।
सीएम के समक्ष मजबूती से रखा अपना पक्ष
महिला राष्ट्रीय सम्मेलन में डीआईजी सुमेधा द्विवेदी ने आप बीती सुनाई। उनका कहा कि महिला अफसरों को ज्यादातर एक जगह टिकने नहीं दिया जाता है। महिला अफसर होने के नाते उनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर तबादला किया गया। तर्क दिया जाता था कि वह वहां काम नहीं कर सकती हैं। ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष मजबूती से अपना पक्ष रखा। इसके बाद उनका तबादला नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जरूरती से अपना पक्ष रखना चाहिए।