हिमाचल प्रदेश

चंबा जिला में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 13000 किसान कर रहे प्राकृतिक खेती

Renuka Sahu
23 Feb 2022 5:24 AM GMT
चंबा जिला में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 13000 किसान कर रहे प्राकृतिक खेती
x

 फाइल फोटो 

उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि जिला चंबा में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग को पूर्णता समाप्त करके किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उपायुक्त डीसी राणा ने कहा कि जिला चंबा में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग को पूर्णता समाप्त करके किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला में आतमा परियोजना के अंर्तगत प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 13000 से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाया है। वर्तमान में 1400 हेक्टेयर भूमि में विभिन्न फसलों की मिश्रित खेती की जा रही है। प्राकृतिक विधि से उगाई जा रही फसलों में रसायनिक खादों व कीटनाशकों के प्रयोग को पूरी तरह समाप्त करके अब किसान गाय के गोबर व गोमूत्र से तैयार घटकों का प्रयोग कर रहे हैं। डीसी राणा ने कहा कि जिला में लगभग 13500 किसान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इसके साथ ही 13000 से अधिक किसान वर्तमान में अपने खेतों में इस विधि का प्रयोग कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि यह खेती देशी गाय व इसके गोमूत्र पर आधारित है इसलिए आतमा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को एक देशी गाय खरीदने पर 25 हजार रुपए अनुदान स्वरूप उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके साथ गाय के यातायात खर्च के लिए पांच हजार रुपए व मंडी शुल्क दो हजार रुपए अलग से दिया जा रहा है। गोमूत्र इक_ा करने के लिए गोशाला को पक्का करने व गद्या करने के लिए आठ हजार रुपए, विभिन्न आदानों को बनाने व उनके संग्रहण के लिए ड्रम और संसाधन भंडार खोलने के लिए दस हजार रुपए का उपदान का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जारी वित्त वर्ष के दौरान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के सफल क्रियान्वयन को लेकर 132.34 लाख रुपए व्यय किए जा रहे। इसके अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षित करने, खेत प्रर्दशन, फार्म स्कूल, आभाषी कार्यशाला, प्रशिक्षित किसानों द्धारा तकनीक विस्तार और खाद्य सुरक्षा ग्रुप का गठन इत्यादि किया जा रहा है। उपायुक्त डीसी राणा ने किसानों से आग्रह किया है कि वे सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना से लाभ लेकर प्राकृतिक खेती को अवश्य अपनाए। उधर, आत्मा परियोजना के उपनिदेशक ओम प्रकाश अहीर बताते हैं कि मिट्टी में लाभदायक देसी केंचुए और सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढऩे से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढती है। इस विधि से फसल उत्पादन की लागत कम होने के साथ पैदावार लगभग दोगुना हो जाती है। मिश्रित खेती द्वारा अगर एक फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचता है तो उस अवस्था में इसकी भरपाई दूसरी सह फसलों से आसानी से हो जाती है। इसके साथ प्राकृतिक खेती से उत्पादित खाद्यानए फल व सब्जियां पोषणयुक्त और जहरमुक्त होती हैं। इससे लोगों में सकारात्मक असर और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
Next Story