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शिमला: प्रदेश के स्कूलों में तैनात किए गए मल्टी टास्क वर्कर की नियुक्ति पर खतरा मंडरा गया है। नई सरकार में मुख्यमंत्री बने सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसको लेकर कमेटी बनाई है, जिसमें रिकार्ड मांगा गया है कि किन नियमों के तहत स्कूलों में मल्टीटास्क वर्कर भर्ती हुए हैं। ऐसे में सरकार इन भर्तियों पर कोई भी फैसला ले सकती है। कांग्रेस विधायकों की कमेटी इस पूरे मामले में अब जांच करेगी। प्रदेश के स्कूलों में भाजपा सरकार ने आठ हजार मल्टी टास्क वर्कर को रखने के लिए आदेश किए हैं और करीब 50 फीसदी स्कूलों में मल्टीटास्क वर्कर रखे भी जा चुके हैं। जब ये भर्तियां हो रही थीं, तब भी मामला हाई कोर्ट चला गया था। जयराम सरकार को बीच में पॉलिसी बदलनी पड़ी थी। इसके लिए नियमों में संशोधन किया था। हालांकि शिकायतें मिली थी कि इन भर्तियों में चहेतों को रखा गया है, लेकिन अब सरकार ने इन भर्तियों की जांच के संकेत दिए हैं। ऐसे में भर्तियों की जांच भी हो सकती है। इसके लिए एसडीएम की अध्यक्षता वाली चयन कमेटी नियुक्तियां की गई थी। इन वर्करों को प्रतिमाह 5625 रुपए वेतन मिल रहा है।
नियमों के मुताबिक जिस गांव या ग्राम पंचायत के स्कूल में भर्ती की जानी है, वहां के स्थानीय निवासी को इसमें प्राथमिकता दी गई है। साथ लगते गांव में अगर कोई स्कूल नहीं है तो वहां का निवासी भी इसमें शामिल है। इसमें यह भी देखा गया है कि वर्कर के घर से स्कूल की दूरी के आधार पर दस नंबर होंगे। इसमें डेढ़ किलोमीटर के दायरे वाले आवेदक को दस नंबर दिए जाएंगे। दो किलोमीटर दायरे पर आठ, तीन किलोमीटर पर छह, चार किलोमीटर पर चार और पांच किलोमीटर की दूरी पर दो नंबर मिलेंगे। इसके अलावा पांचवीं कक्षा पास को पांच नंबर, आठवीं पास को आठ नंबर मिलेंगे। कुल 30 नंबरों के आधार पर इनका चयन किया गया है, लेकिन अब भर्ती के लिए जो नियम बनाए गए थे, उनका भी पालन किया गया है, यह देखा जाएगा। मल्टी टास्क वर्कर की भर्ती के लिए सीमेंट की बोरियों के साथ दौड़ का नियम भी बनाया गया था, जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ भाग लिया था। स्कूल को खोलना और बंद करना, परिसर और कक्षाओं में सफाई करना, पीने के पानी का इंतजाम करना और स्कूल की डाक को अन्य विभागों में पहुंचाना इनका काम तय किया गया है। (एचडीएम)