हिमाचल प्रदेश

12 अप्रैल को होगा मैराथन ,11 हजार फीट की ऊंचाई से देंगे मतदान करने के लिए संदेश

Tara Tandi
3 April 2024 9:55 AM GMT
12 अप्रैल को होगा मैराथन ,11 हजार फीट की ऊंचाई से देंगे मतदान करने के लिए संदेश
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लोकसभा चुनाव से पहले हिंदुस्तान-तिब्बत सिल्क रूट (रेशम मार्ग) ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रहा है। लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए धावक नारकंडा से सराहन तक के सिल्क रूट के हिस्से से होते हुए 11 हजार फीट की ऊंचाई से मतदाताओं को वोट डालने का संदेश देंगे। 12 अप्रैल को नारकंडा से हेरिटेज मतदाता जागरुकता अल्ट्रा ट्रेल मैराथन शुरू होगी। मैराथन जिले के दूर-दराज, ग्रामीण इलाकों में पगडंडियों और जंगल से होकर गुजरेगी। इस दौरान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के करीब डेढ़ सौ धावक मतदाताओं को वोट का महत्व बताएंगे। मैराथन 12 से 14 अप्रैल के बीच होगी। हिमाचल चुनाव आयोग धावकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेगा। चार चरणों में 100 किमी मैराथन को पूरा करने के लिए धावकों के पास 26 घंटे का समय होगा।
लोक गायक भी गीतों के माध्यम से करेंगे जागरूक
इस दौरान हिमाचल के लोक गायक भी गीतों के माध्यम से लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करेंगे। हिंदुस्तान-तिब्बत की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिल्क रूट अल्ट्रा ट्रेल मैराथन नाम दिया गया है। दा हिमालयन एक्सपीडिशन के सदस्य लक्ष्य व्रत ने बताया कि मैराथन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नरैण, तकलेच होकर पहाड़ के उबड़-खाबड़ रास्ते में 11 हजार की ऊंचाई पर स्थित माता श्राईकोटी के मंदिर पहुंचकर वोट करने के लिए प्रेरित करेंगे।
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर के धावक लेंगे हिस्सा
जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर मतदाताओं को मतदान करने के लिए जागरूक एवं प्रेरित किया जा रहा है। स्वीप कार्यक्रम के तहत नारकंडा से सराहन तक मतदान करे शिमला, रन फॉर वोट, मेरा वोट मेरी ताकत, मेरी वोट मेरी पहचान, चुनाव का पर्व देश का पर्व आदि स्लोगन से धावक लोगों को जागरूक करेंगे। इसका उद्देश्य मतदान के दिन लोग अपने घरों से निकलकर वोट करें।
यहां समझे सिल्क रूट की विशेषताएं
सिल्क रूट को प्राचीन चीनी सभ्यता के व्यापारिक मार्ग के रूप में जाना जाता है। 200 साल ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी के बीच हान राजवंश के शासन काल में रेश्म का व्यापार बढ़ा। पहले रेश्म के कारवां चीनी साम्राज्य के उत्तरी छोर से पश्चिम की ओर जाते थे। बाद में मध्य एशिया के कबीलों से संपर्क हुआ और धीरे-धीरे यह मार्ग चीन, मध्य एशिया, उत्तर भारत, ईरान, इराक और सीरिया से होते रोम तक पहुंच गया। करीब 6,500 किलोमीटर रास्ते में चीन भारत को रेश्म, चाय और चीनी मिट्टी के बर्तन भेजता था आैर भारत मसाले, हांथीदात, कपड़े, काली मिर्च, कीमती पत्थर भेजता था। रोम से सोना, चांदी, शीशी की वस्तुएं, शराब, कालीन और गहने आते थे। सड़क के रास्ते व्यापार करना खतरनाक हो गया तो यह व्यापार समुद्र के रास्ते होने लगा। शिमला, किन्नौर और लद्दाख भी ऐतिहासिक सिल्क रूट का हिस्सा है।
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