हिमाचल प्रदेश

सिरमौर के मवेशियों में पैर पसार रहा है लंपी त्वचा रोग, पशुपालक बरतें सावधानी : नीरू शबनम

Gulabi Jagat
6 Aug 2022 12:12 PM GMT
सिरमौर के मवेशियों में पैर पसार रहा है लंपी त्वचा रोग, पशुपालक बरतें सावधानी : नीरू शबनम
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नाहन, 6 अगस्त : पंजाब व राजस्थान के बाद अब सिरमौर के पशुओं में भी लंपी त्वचा रोग के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। यह जानकारी उपनिदेशक पशुपालन विभाग नीरू शबनम ने दी।
उन्होंने बताया कि जिला सिरमौर केराजगढ़ ब्लाक के अंतर्गत नैना टिक्कर व नारग, नाहन ब्लाक के अंतर्गत कालाअंब सैनवालाऔर शंभूवाला के पशुओं में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि यह रोग एक वायरस के चलते मवेशियों में फैलता है, गांठदार वायरस एलएसडीवी भी कहा जाता है। उन्होंने इस वायरस के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि इस वायरस के फैलने से पशुओं को 105 से 107 डिग्री सेल्सियस तेज बुखार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पशुओं के शरीर में निशान बनते हैं और बाद में निशान घाव बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि पशुओं के मुंह से लार टपकने शुरू होती है। उन्होंने बताया कि इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण गायों में होता है।
नीरु शबनम ने बताया कि पशुपालकों को अपने पशुओं को संक्रमित पशुओं से दूर रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि लंपी त्वचा रोग से पशुओं को बचाने के लिए घर पर ही मौजूद चीजों की मदद से पारंपरिक विधि अपनाते हुए खुराक तैयार करनी होगी। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को यह खुराक तैयार करने के लिए पान के 10 पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक व गुड को मिलाने के बाद पीसकर एक खुराक तैयार करनी होगी और उसे न्यूनतम 1 घंटे के अंतराल पर पशुओं को बार-बार खिलाना होगा।
उन्होंने पशुओं को इस वायरस से बचाने के लिए दूसरी विधि का प्रयोग के बारे में बताया कि पशुपालकों को दो लहसुन, 10 ग्राम धनिया, 10 ग्राम जीरा, तुलसी का पत्ता, तेज का पत्ता, काली मिर्च 10 ग्राम, पान का पत्ता, हल्दी पाउडर 10 ग्राम,चिरायता के पत्ते का पाउडर 30 ग्राम, बेसिल का पत्ता एक मुट्ठी, बल का पत्ता एक मुट्ठी, नीम का पत्ता एक मुट्ठी, गुड सौ ग्राम को पीसकर हर 3 घंटे में पशुओं को खिलाना होगा।
उन्होंने बताया कि यदि किसी पशु को लंबी त्वचा रोग लग जाए तो उसके शरीर में घाव बन जाते हैं और उस घाव को को मिटाने के लिए पशुपालक को कुप्पी का एक मुट्ठी नीम का पत्ता, 500 मिलीलीटर नारियल व तिल का तेल, हल्दी पाउडर, मेहंदी का पत्ता, तुलसी का पत्ता एक मुट्ठी लेकर उसका पेस्ट बनाने के पश्चात 500 लीटर उसमें नारियल अथवा तिल का तेल मिलाकर उबालने के बाद ठंडा कर लें, जिसके पश्चात पशुओं के गांव को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उस पेस्ट को घाव में लगाएं।
पशुओं को पेस्ट लगाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं और पशुओं में इस संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय से गोट वैक्सीन अवश्य लगाएं। नीरू शबनम ने जिला के पशुपालकों से इस संक्रमण के प्रति सावधानी बरतने की अपील की है।
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