हिमाचल प्रदेश

मिनी जू रेणुकाजी में सात साल से शेर आए न बाघ

Kajal Dubey
29 July 2022 5:40 PM GMT
मिनी जू रेणुकाजी में सात साल से शेर आए न बाघ
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वर्ष 2015 में हिमाचल प्रदेश के मिनी जू रेणुकाजी मे शेरों का एक वंश खत्म होने के बाद न तो दोबारा से शेरों को लाया जा सका और न ही यहां टाइगर (बाघ) का जोड़ा पहुंचा। इस कारण सात हेक्टेयर में फैले सिंह विहार के वीरान होने से पर्यटक खाली पिंजरों को निहार कर निराश हो रहे हैं। यहां बाघ का एक नया जोड़ा लाने की योजना भी अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। प्रदेश के एकमात्र सिंह विहार को साल 2009 से पहले (लॉयन सफारी) का दर्जा प्राप्त था। जहां एशियन प्रजाति के शेर और शेरनियों को निहारने के लिए पूरे उतरी भारत से पर्यटक खींचे चले आते थे, लेकिन यहां पलने वाले शेरों का एक वंश पूरी तरह खत्म होने के बाद पिंजरे यहां वीरान पड़े हुए हैं। इसके बाद वन्य प्राणी विभाग ने यहां टाइगर के एक जोड़े को लाने की योजना बनाई। फिलहाल ये भी सिरे नहीं चढ़ पाई है।
बताया जा रहा है कि 1.20 करोड़ रुपये की लागत से यहां टाइगर के एक जोडे़ के लिए आधुनिक बाड़े का निर्माण किया जाना है, जिसकी स्वीकृति केंद्रीय जू प्राधिकरण (सीजेडए) से वन्य प्राणी विभाग को मिल चुकी है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ हर वर्ष हजारों की तादाद में आने वाले पर्यटक भी यहां टाइगर का दीदार करने के लिए तरस रहे हैं। वर्ष 1986 में स्थापित हुए प्रदेश के एकमात्र सिंह विहार में एक के बाद एक यहां 29 शेरों को एक साथ देखा गया, जो रक्त जनित रोग का शिकार होने के कारण एक के बाद एक मौत का ग्रास बनते चले गए। उसके बाद न तो दोबारा शेरों को लाया गया और न ही टाइगर का जोड़ा यहां भेजा गया। हालांकि, तीन तेंदुए और पांच भालू यहां आज भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जिन्हें अलग-अलग बाड़ों में रखा गया है। बीते दिनों एक तेंदुए ने भी यहां दम तोड़ दिया था।
वन्य प्राणी विहार रेणुका के आरओ नंदलाल ठाकुर ने बताया कि मिनी जू रेणुकाजी में टाइगर के एक नए जोड़े को लाने के प्रयास जारी है। इसको लेकर करीब पांच बीघा के भू-भाग में टाइगर के लिए एक आधुनिक, वातानुकूलित व पारदर्शी (कांचनूमा) बाड़े का निर्माण किया जाना है। इसकी टेंडर प्रक्रिया को निभाया जा रहा है। शीघ्र ही यहां दिल्ली जू से टाइगर के एक नए जोड़े को शिफ्ट किया जाएगा।
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