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बड़ी खबर
नाहन। हिमाचल प्रदेश विधि महाविद्यालय कालाअंब ने भारत में संविधान और संविधानवाद वर्तमान परिदृश्य विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। प्रोफेसर डाक्टर अजीत सिंह चहल विधि विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने भारत में संविधान और संविधानवाद वर्तमान परिदृश्य पर व्याख्यान दिया। इस दौरान विभिन्न सेमेस्टर के कानून के छात्र व्याख्यान में शामिल हुए। व्याख्यान के पीछे मुख्य उद्देश्य छात्रों को जागरूक करना था। छात्रों को संविधान और संविधानवाद के बीच के अंतर को समझाना था। संविधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार राज्य का मालिक नहीं है, यह केवल नागरिकों की ओर से उच्च कानूनों के अधिकार के तहत राज्य का प्रबंधन करती है। इस अर्थ में संवैधानिकता निरंकुशता के विपरीत है। निरंकुशता सरकार की एक प्रणाली है जिसमें शासी अधिकारी स्वयं के लिए एक कानून हैं।
उन्होंने कुछ बिंदुओं पर चर्चा की जो संविधान के दृष्टिकोण से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि कैसे संविधानवाद इस सवाल का जवाब देता है कि क्या राज्य प्रशासन और विनियमन का दिया गया समाधान स्वतंत्रता पर अनुचित सीमा को रोकता है। संगठित तानाशाही अर्थात संविधानवाद के सिद्धांत एक मर्यादा प्रणाली जहां नागरिकों की स्वतंत्रता प्रबल होती है। कई छात्रों ने विषय से संबंधित प्रश्र पूछे जिनका प्रोफेसर डाक्टर अजीत सिंह चहल ने बहुत ही प्रभावी ढंग से उत्तर दिया। इस अवसर पर अध्यक्ष रजनीश बंसल, वाइस चेयरमैन विकास बंसल और सीईओ मन्नत बंसल ने छात्रों से बातचीत की। हिमाचल प्रदेश कालेज ऑफ लॉ के प्राचार्य डाक्टर अश्वनी कुमार ने छात्रों से कहा कि इस तरह के गेस्ट लेक्चर से छात्रों के ज्ञान में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि यह व्याख्यान छात्रों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के व्याख्यान विधि विभाग द्वारा आयोजित किए जाएंगे। असिस्टेंट प्रोफेसर मनीषा व असिस्टेंट प्रोफेसर बिंद्रा भी वहां मौजूद थे।
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