हिमाचल प्रदेश

लैबोरेटरी टेक्नीशियन एसोसिएशन की याचिका खारिज, पदनाम बदलना, न बदलना सरकार का काम

Renuka Sahu
11 Sep 2022 1:27 AM GMT
Laboratory Technician Associations petition dismissed, changing the designation, not changing the work of the government
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न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

पदनाम बदलना या न बदलना सरकार का काम। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को पुन: बनाना भी सरकार का क्षेत्राधिकार।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पदनाम बदलना या न बदलना सरकार का काम। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को पुन: बनाना भी सरकार का क्षेत्राधिकार। प्रदेश हाई कोर्ट ने ऑल इंडिया मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नीशियन एसोसिएशन हिमाचल यूनिट की याचिका को खारिज करते हुए यह स्थिति स्पष्ट की। प्रार्थी संघ ने चीफ लैबोरेटरी टेक्नीशियन और सीनियर लैबोरेटरी टेक्नीशियन का पदनाम बदलकर मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नीशियन ग्रेड-1 और मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नीशियन ग्रेड-2 करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।

प्रार्थी संघ ने 23 जुलाई, 2013 के समय लगे हुए चीफ लैबोरेटरी टेक्नीशियन और सीनियर लैबोरेटरी टेक्नीशियन के मामले में भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में परिवर्तन करने पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी। चीफ लैबोरेटरी टेक्नीशियन से आगे की पदोन्नति के लिए रास्ता खोलने से संबंधित आदेशों की मांग भी की गई थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि सरकार द्वारा पदनाम बदलने और नए भर्ती एवं पदोन्नति नियम बनाने से प्रार्थी संघ के सदस्यों को कोई आर्थिक हानि नहीं हुई। कोर्ट ने इस मामले में सरकार के सभी आदेशों को जायज ठहराते हुए प्रार्थी संघ की याचिका खारिज कर दी।
26 याचिकाकर्ताओं की चार याचिकाओं का निपटारा
शिमला। सर्विस करियर में पाए अधिकार को अधिसूचना जारी कर नहीं छीना जा सकता। यह व्यवस्था न्यायाधीश सत्येंन वैद्य ने पुलिस विभाग में सेवारत 26 याचिकाकर्ताओं की चार याचिकाओं का निपटारा करते हुए दी। याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी जो वरिष्ठ लिपिक के पद पर पदोन्नत हो गए थे, उन्हें पहली सितंबर, 1998 व 30 मई, 2001 को जारी की गई अधिसूचना के तहत लिपिक के पद पर वापस भेज दिया गया। यही नहीं, उनके वेतन को भी कम कर दिया गया। जब प्रार्थियों को बतौर कनिष्ठ सहायक पदनामित किया गया, तो भी उनके वेतन को कम कर लिया गया, जबकि हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विसेज रिवाइज रूल्स 1998 के मुताबिक प्रार्थियों के वेतन का निर्धारण किया गया था, मगर इन अधिसूचनाओं के आने के पश्चात उनके पदनाम को निचले स्तर पर करने के साथ वेतन भी कम कर दिया गया। प्रदेश उच्च न्यायालय ने दोनों अधिसूचनाओं को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया।
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