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जानें पूरा मामला, किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर बना मंडी-भराड़ी पुल विवादों में
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
किरतपुर-नेरचौक फोरलेन में एक और विवाद जुड़ गया है। अब इस फोरलेन पर बना मंडी-भराड़ी पुल विवादों में आ गया है। इस पुल का दूसरा छोर अधिग्रहीत जमीन से करीब 200 मीटर आगे निकला है।
अनियमितताओं के चलते पहले से ही विवादों में रहे किरतपुर-नेरचौक फोरलेन में एक और विवाद जुड़ गया है। अब इस फोरलेन पर बना मंडी-भराड़ी पुल विवादों में आ गया है। इस पुल का दूसरा छोर अधिग्रहीत जमीन से करीब 200 मीटर आगे निकला है। पुल की लंबाई करीब 750 मीटर है। इसके दूसरे छोर के लिए जो जमीन एनएचएआई की भू अधिग्रहण इकाई ने अधिग्रहीत की थी, वहां पर यह बना ही नहीं है। अब जिस निजी जमीन का अधिग्रहण इस पुल के लिए किया गया था, उसका कोई इस्तेमाल ही नहीं रह गया है। इस पुल के निर्माण के लिए एनएचएआई की भूमि अधिग्रहण इकाई ने धराड़सानी में करीब पौने चार बीघा जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके लिए एक कमरे और जमीन सहित मालिकों को 63 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था।
अब पुल बनकर तैयार हुआ तो इसका दूसरा सिरा इस जमीन पर निकला ही नहीं है। यह पुल बीबीएमबी की जमीन पर बना है। हालांकि यह जमीन भी एनएचएआई के पास ही है। लेकिन इस पुल के करीब 200 मीटर दूसरी तरफ बनने से एक बार फिर फोरलेन की अप्रूव्ड रोड अलाइनमेंट पर सवाल उठे हैं। यह पुल सदर और झंडूता विधानसभा क्षेत्र को जोड़ेगा। फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत विजिलेंस को दी है कि फोरलेन में अप्रूव्ड रोड अलाइनमेंट में कई खामियां हैं। उसी का एक उदाहरण यह पुल भी है। उन्होंने कहा कि शिकायत के बाद विजिलेंस के अधिकारी भी मौके पर गए और उन्होंने एनएचएआई के तहसीलदार से इस बारे में रिपोर्ट भी मांगी है। उन्होंने कहा कि जब अधिग्रहीत जमीन का पुल के लिए उपयोग ही नहीं हुआ तो सरकारी पैसे का दुरुपयोग क्यों किया गया। क्यों गलत तरीके से जमीन का अधिग्रहण कर लोगों को इसका मुआवजा दिया गया। संवाद
पुल का दूसरा छोर कैसे दूसरी जगह निकला यह विशेषज्ञों का मामला
एनएचएआई के तहसीलदार अजीत कुमार ने बताया कि यहां पर धराड़सानी में पुल के लिए जमीन का अधिग्रहण हुआ था, वहां पर पुल बना नहीं है। पुल दूसरी जगह ही निकला है। अभी जमीन घास से भरी है, लेकिन जब घास साफ होगी तो इसका सीमांकन किया जाएगा कि इसमें कितना फर्क पड़ा है। कहा कि उनका कार्य जमीन अधिग्रहण का है, पुल का दूसरा छोर कैसे दूसरी जगह निकला, यह विशेषज्ञों का मामला है।