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हिमाचल प्रदेश
भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर गिरने के कारण यातायात के लिए खतरनाक किन्नौर की पहाड़ियों को सुरक्षित किया जाएगा
Ritisha Jaiswal
27 Jun 2022 12:26 PM GMT
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हर साल मानसून के दौरान भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर गिरने के कारण यातायात के लिए खतरनाक किन्नौर की पहाड़ियों को सुरक्षित किया जाएगा।
हर साल मानसून के दौरान भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर गिरने के कारण यातायात के लिए खतरनाक किन्नौर की पहाड़ियों को सुरक्षित किया जाएगा। पहले चरण में निगुलसरी की पहाड़ी में सुरक्षा दीवार बनाई जाएगी। इससे न सिर्फ पहाड़ी को मजबूती मिलेगी बल्कि बरसात में गिरने वाले पत्थरों से भी वाहनों को नुकसान नहीं होगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग यहां पर रॉक फॉल बैरियर की पांच तरह की तकनीकों से बड़े-बड़े बोल्डरों को एक-दूसरे से जोड़कर मजबूती प्रदान करेगा।
बीते साल 11 अगस्त 2021 को निगुलसरी में राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-05 पर यात्रियों से भरी बस समेत पांच वाहन पहाड़ी से हुए भूस्खलन की चपेट में आ गए थे। इसमें 28 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसी घटना से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार्र आईआईटी मंडी के सुझावों पर अब निगुलसरी की पहाड़ी पर सुरक्षा दीवार बनाने जा रही है। केंद्र सरकार ने इसके लिए 14 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
लोक निर्माण विभाग हिमाचल में पहली बार पहाड़ी में सेल्फ ड्रिलिंग रॉक बोल्टिंग, फिशर ग्राउटिंग, एचटी तार वाली जाली (रोल्ड केबल नेट) के अलावा इरोजन मैट का इस्तेमाल करेगा। इस तकनीक से पहाड़ी को करीब 100 मीटर ऊंचाई और 80 मीटर चौड़ाई से रॉक फॉल बैरियर से सुरक्षित किया जाएगा। ड्रिलिंग रॉक बोल्टिंग के माध्यम से पहाड़ी के अंदर छह मीटर होल कर सरिये से पत्थरों को आपस में नेट के माध्यम से जोड़ा जाएगा।
पत्थरों के बीच खाली दरारों को सीमेंट की स्प्रे कर (फिशर ग्राउटिंग) से भरा जाएगा। इसके बाहर एचटी रोल्ड केबल नेट के साथ इरोजन मैट लगाए जाएंगे। इससे पहाड़ी को मजबूती मिलेगी और पत्थरों के गिरने की आशंका न के बराबर रहेगी। एनएच शिमला सर्किल के अधीक्षण अभियंता दीपक राज चौहान ने बताया कि निगुलसरी पहाड़ी को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही निर्माण कार्य का टेंडर अवार्ड किया जाएगा। पहाड़ी को सुरक्षित करने का काम युद्ध स्तर पर पूरा किया जाएगा।
कब क्या हुआ
11 अगस्त 2021 : भारी बारिश के दौरान निगुलसरी में भूस्खलन हुआ। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ के प्रतिनिधियों ने साइट का निरीक्षण कर सड़क और यात्रियों को नुकसान से बचाने के स्थायी समाधान के लिए बल दिया।
17 अगस्त 2021 : आईआईटी मंडी से भूस्खलन को नियंत्रण करने के लिए जांच का अनुरोध किया गया।
16-17 सितंबर 2021 : आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की टीम ने मौके का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की।
30 नवंबर 2021 : वैज्ञानिकों ने दोबारा साइट का दौरा किया और विशेषज्ञों की रिपोर्ट का गहनता से अध्ययन किया।
22 दिसंबर 2021 : राजमार्ग को सुरक्षित करने के लिए प्रस्ताव डीजीआरई चंडीगढ़ को भेजा गया।
29 दिसंबर 2021 : पहाड़ी को सुरक्षित करने का प्रस्ताव पांच बिंदुओं पर सही पाया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग के मुताबिक अभी भी निगुलसरी की पहाड़ी की ओर से शिलाखंड गिर रहे हैं।
Tagsपत्थर
Ritisha Jaiswal
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