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केरल हाईकोर्ट ने ऑनलाइन मीडिया से महिला की तस्वीर हटाने का आदेश दिया, कहा - 'निजता के बिना गरिमा नहीं'

कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि निजता मानवीय गरिमा का संवैधानिक मूल है, और अनैतिक तस्करी मामले में पीड़ित महिला की ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड की गई तस्वीरों को हटाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा, निजता व्यक्ति की पवित्रता की अंतिम अभिव्यक्ति है। गोपनीयता के बिना किसी व्यक्ति की गरिमा नहीं हो सकती। यह मौलिक अधिकारों पर आधारित एक संवैधानिक मूल्य है। निजता अपने सम्मिलित मूल्यों के साथ व्यक्ति को गरिमा का आश्वासन देती है। गरिमा वह मूल है जो मौलिक अधिकारों को जोड़ती है। निजता मानवीय गरिमा का संवैधानिक मूल है।
अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला द्वारा दायर याचिका पर विचार करते समय दी जिसने दावा किया था कि उसका नाम, चित्र, पहचान और अन्य विवरण अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में यूट्यूब सहित ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्मो पर अपलोड और प्रकाशित किए गए हैं।
याचिकाकर्ता महिला समेत अन्य महिलाओं को पुलिस ने मामले में पीड़ित माना था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मामला दर्ज होने के बाद उसे अवैध रूप से मीडिया के सामने लाया गया और उक्त मामले से जोड़ा गया और इसके कारण उसे कई साइबर हमलों और अपमान का सामना करना पड़ा।
अदालत ने राज्य पुलिस प्रमुख को ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्मों से याचिकाकर्ता की तस्वीरें हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को तय की।
--आईएएनएस

Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।