हिमाचल प्रदेश

हिमाचल के सात जिलों में चलेगी जाइका परियोजना, वनमंत्री बोले- 800 करोड़ के प्रोजेक्ट से बदलेगी प्रदेश में वन क्षेत्र की तस्वीर

Renuka Sahu
28 Feb 2022 5:32 AM GMT
हिमाचल के सात जिलों में चलेगी जाइका परियोजना, वनमंत्री बोले- 800 करोड़ के प्रोजेक्ट से बदलेगी प्रदेश में वन क्षेत्र की तस्वीर
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फाइल फोटो 

अब हिमाचल के सात जिलों में जाइका परियोजना चलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सहमति प्रदान कर दी गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अब हिमाचल के सात जिलों में जाइका परियोजना चलेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से सहमति प्रदान कर दी गई है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा को भी परियोजना के तहत शामिल किया गया है। 800 करोड़ रुपए के जाइका प्रोजेक्ट से हिमाचल प्रदेश के वन क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। ग्रामीण परिवेश में स्वरोजगार व आर्थिकी को मजबूत किए जाने के लिए कार्य किया जाएगा। वहीं, अब प्रदेश सरकार व विभागों की काबिलियत भी देखते को मिलेगी कि किस तरह से 800 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को धरातल में उतारा जाता है।

जापान सरकार द्वारा वित्त पोषित जाइका में हिमाचल प्रदेश वन पारितंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना के तहत भारत सरकार ने कांगड़ा जिला के अंतर्गत धर्मशाला वृत्त के तीन वन मंडलों नूरपुर, धर्मशाला व पालमपुर सहित हमीरपुर वन वृत्त के एक वन मंडल देहरा के 11 वन परिक्षेत्रों में वित्तीय वर्ष 2022-23 से क्रियान्वित करने की सहमति दी है। अब यह परियोजना प्रदेश के सात जिलों के अंतर्गत 22 वन मंडलों, जिसमें 20 क्षेत्रीय व दो अन्य प्राणी वन्य प्राणी वन मंडल शामिल हैं, के 72 वन परिक्षेत्रों, जिसमें 67 क्षेत्रीय एवं पांच वन्य प्राणी परिक्षेत्र शामिल हैं, में क्रियान्वित की जाएगी। वन मंत्री ने रविवार को परियोजना को लांच किया।
जड़ी-बूटी सैल गठित
पीएमयू स्तर पर एक विशेष जड़ी बूटी सेल का गठन किया गया है। जड़ी-बूटी सैल के लिए मॉडल्स की पहचान की गई है, अर्थात चीड़ पाइन नीडल मॉडल, सतुआ, लीव्स प्लेट, पाल्मारोजा ग्रास, पतीश, एलोवेरा, शतावरी, कूटकी, चिरायता, आंवला, हरड़, रीठा, डमस्टीक ट्री (मोरिंगा आलीफिरा) मॉडल शामिल हैं। अस पर इन प्रजातियों के क्षेत्र में प्रसार के लिए वीएफडीएस को जोड़ा जा रहा है।
नर्सरी में केंचुआ खाद की व्यवस्था भी होगी
नर्सरी विंग की खासियत यह होगी कि इसमें जाइका के माध्यम से वहां पिट बनवा सकते हैं, इसके साथ केंचुआ खाद की व्यवस्था की जा सकती है। पानी के भंडारण की व्यवस्था की जा सकती है, चैक डैम निर्मित किए जा सकते हैं। तीन प्रोजेक्ट्स को जोड़कर विभाग अपनी नर्सरी का आधुनिकीकरण करना चाहता है। जाइका में टिशू कल्चर पर काम कर रहे हैं। जड़ी-बूटी उत्पादन में टिशू कल्चर का ज्यादा योगदान है।
नर्सरी होंगी हाइटेक
वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि नर्सरी को हाइटेक करना चाहते हैं, उनका आधुनिकीकरण करना चाहते हैं, जिससे फोरेस्ट कवर आगे बढ़ सकें और पुन: पौधारोपण के लिए हमारे पास पौधे भी उपलब्ध हो सकें। जो नई नर्सरी स्थापित करेंगे, उसमें 40 फीसदी फलों के पौधे तैयार किए जाएंगे। इसके लिए जाइका के तहत नर्सरी विंग अलग से विकसित किया जाएगा। इस विंग में नई भर्ती भी की जाएगी।
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