- Home
- /
- राज्य
- /
- हिमाचल प्रदेश
- /
- पांच साल से...
हिमाचल प्रदेश
पांच साल से प्री-प्राइमरी की कक्षाएं संभाल रहे हैं जेबीटी
Gulabi Jagat
30 Oct 2022 9:57 AM GMT
x
शिमला
प्रदेश के स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए वर्तमान सरकार के कार्यकाल में नई भर्तियां नहीं हो पाई। केंद्र से बजट भी आया, स्कूलों में प्री-प्राइमरी में बच्चे भी एनरोल हुए और इन बच्चों को पढ़ाने के लिए ट्रेंड टीचर भी थे लेकिन उसके बावजूद शिक्षकों की भर्तियां ही नहीं हो पाई। 3840 पाठशालाओं को 4847 शिक्षक नहीं मिले पाएं हैं। प्रदेश सरकार पहले इस बात का फैसला नहीं कर पाई कि किसे प्री-प्राइमरी के शिक्षकों के लिए किस योग्यता के शिक्षकों को नियुक्त किया जाए और जब एनटीटी को इसमें शामिल करने का फैसला लिया गया तो विभाग ही आपस में स्पष्टीकरण को लेकर उलझ गए। बार-बार कैबिनेट में ये एंजेंडा लगा उसके बाद भी स्कूलों में ये नियुक्तियां नहीं हो पाई।
साल 2018 में स्कूलों में प्री-प्राइमरी की कक्षाएं शुरू की गई थी। तबसे लेकर पांच सालों में स्कूलों में जेबीटी शिक्षकों के सहारे ही काम चल रहा है। फिलहाल भर्ती की प्रक्रिया राज्य इलेक्ट्रॅानिक विकास निगम को सौंपी गई है और निगम ने अब इस मामले में प्रारंभिक शिक्षा विभाग से कुछ क्लेरिफिकेशन मांगी है। इस भर्ती के लिए एनटीटी का दो साल का डिप्लोमा लिया जा रहा है, जबकि एक साल के डिप्लोमा वाले अभ्यर्थियों के लिए ब्रिज कोर्स की व्यवस्था बनाई जा रही है। भर्ती शुरू करते समय एक साल के डिप्लोमा को लेना है या नहीं, इस बारे में क्लेरिफिकेशन मांगी गई है। एक सवाल यह भी है कि ब्रिज कोर्स कौन करवाएगा और उसका खर्चा कौन देगा इस बारे में भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। वर्तमान सरकार समग्र शिक्षा के बजट से इन भर्तियों को करना चाहती है और इसके लिए एनसीटीई के नियमों से अतिरिक्त भी एक साल के डिप्लोमा को जोड़ा गया है। इससे पहले आंगनबाड़ी को इसमें शामिल किए जाने की बात कही जा रही थी लेकिन फिलहाल इसमें एनटीटी को ही शामिल किया जाना है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों में सरकार के प्रति काफी रोष है। पांच साल से राहत की गुहार लगा रहे लेकिन सरकार के द्वारा आजतक केवल आश्वासन ही दिए गए है। नबंवर में होने वाले विधानसभा चुनावों में शिक्षकों का रोष गेम को गुमा सकता है।
शिक्षकों पर बढ़ा काम का बोझ
प्रदेश के स्कूलों में प्री-प्राइमरी की कक्षाओं को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से 859 करोड़ का बजट भी जारी हो चुका है लेकिन इस बजट को अभी तक खर्च नहीं कर पाया है। जेबीटी शिक्षकों पर भी अतिरिक्त कार्यभार पड़ रहा है। प्रदेश में कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पहली से पांचवी कक्षा तक एक ही शिक्षक है। ऐसे में प्री-प्राइमरी के बच्चों को भी इन्हीं शिक्षकों को पढ़ाना पड़ रहा है।
Gulabi Jagat
Next Story