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हिमाचल प्रदेश
'स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों' के योगदान को याद रखना आवश्यक: राज्यपाल
Gulabi Jagat
15 Oct 2022 12:11 PM GMT

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सोलन, 15 अक्टूबर : राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम और डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन में 'स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों की भूमिका' विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हमें आजादी का अमृत महोत्सव में अपने जनजातीय नायकों के योगदान को याद रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय वीरों ने न केवल सत्याग्रह किया, बल्कि राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय नायकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि असंख्य जनजातीय नायकों का चरित्र हमारे लिए आदर्श है और उन्हें सदैव याद रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अमृत काल के दौरान हमें किस दिशा में जाना है। यह तय करने के लिए ऐसे नायकों के बारे में जानना जरूरी है, और हर व्यक्ति खास कर युवा पीढ़ी को इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है, इसलिए उनके लिए वीरों के बलिदानों को याद रखना बहुत जरूरी है और उनसे सीखने की जरुरत है।
राज्यपाल ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हमें कई गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान को जानने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि युवाओं को हमारे देश के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। आजादी का अमृत महोत्सव उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने का एक सुनहरा अवसर है, जिन्होंने देश के गौरव के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा लगाई प्रदर्शनी का शुभारम्भ भी किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जागृत प्रमुख, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम भगवान सहाय ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की अपनी विशिष्ट संस्कृति है और उस संस्कृति का पालन करके हम समाज को दिशा दे सकते हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से प्रो. विवेक कुमार ने आयोग के कार्यों एवं गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत का एक गौरवशाली इतिहास रहा है जिसमें जनजातीय समाज का योगदान महत्वपूर्ण है। डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने राज्यपाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और कहा कि इस देश के मूल निवासी जनजातीय लोगों के बारे में लोगों की धारणा में बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि 15 नवंबर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्वविद्यालय हर वर्ष जनजातीय नायकों को याद करने के लिए इस दिन विशेष आयोजन करेगा। प्रांत अध्यक्ष, हिमगिरि कल्याण आश्रम लछिया राम ने राज्यपाल एवं अन्य का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण दिया।

Gulabi Jagat
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