हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में मतदान प्रतिशत में बढ़त ही है सत्ता मिलने की गारंटी

Renuka Sahu
10 July 2022 6:39 AM GMT
Increase in voting percentage in Himachal Pradesh is the guarantee of getting power
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फाइल फोटो 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर इस बार भाजपा, कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतर चुकी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Assembly Election) 2022 को लेकर इस बार भाजपा, कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में उतर चुकी है. वहीं हिमाचल प्रदेश में हर चुनावो में मतदाता बढ़चढ़ के मतदान करते हैं. अब तक वोटिंग परसेंटेज काफी अच्छा रहा है. यहां हर बार विधानसभा चुनाव में वोटिंग परसेंटेज 70 फ़ीसदी से ज्यादा रहता है. हिमाचल प्रदेश के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां जब भी चुनाव में पिछली बार की अपेक्षा वोटिंग प्रतिशत में बदलाव आता है तो सत्ता बदल जाती है. 2012 से 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐसे ही आंकड़े देखने को मिले. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश भाजपा की जय राम ठाकुर की सरकार मतदाताओं को लुभाने में पूरी तरीके से जुटी हुई है. महिलाओं के लिए भी जयराम ठाकुर सरकार ने बसों में किराए में 50 फ़ीसदी की छूट के साथ साथ परिवहन में महिलाओं के लिए अलग से भर्ती निकालने की शुरुआत की है. वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भाजपा पर चुनाव के नजदीक आने पर मतदाताओं को लुभाने का आरोप लगाया है.

ज्यादा वोटिंग प्रतिशत से सत्तापक्ष को होता है नुकशान
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के पिछले 4 चुनाव की वोटिंग प्रतिशत को देख लिया जाए तो आपको इसका पूरी तरीके से अंदाजा हो जाएगा कि किस तरह हिमाचल में सत्ता परिवर्तन होता है. 1985 में कांग्रेस की वीरभद्र सिंह की सरकार थी जिसके बाद हिमाचल प्रदेश में पांच साल के अंतराल पर भाजपा और कांग्रेस सत्ता में आई है. 1998 में हिमाचल में भाजपा को सत्ता मिली इसके बाद 2003 में विधानसभा चुनाव हुए. 1998 में जहां 71.23 फ़ीसदी मत प्रतिशत था जबकि 2003 में यह मत प्रतिशत बढ़कर 74.51 फ़ीसदी हो गया. इस चुनाव में भाजपा की हार हुई और कांग्रेस की सरकार बनी. 2007 में हुए चुनाव में 74.61% मतदान हुआ. इस बार भाजपा की सरकार बनी. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी फिर मत प्रतिशत में बदलाव आया जिसके कारण भाजपा हिमाचल प्रदेश की सत्ता से चली गई और वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला. बताया जाता है हिमाचल प्रदेश में 2 राजनीतिक पार्टियों के बीच घूमती रही है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के मतदाता ने हर चुनाव में बड़ी सूझबूझ के साथ काम लिया है जिसका फायदा वहां के विकास और योजनाओं पर भी पड़ा है.
एंटी इनकंबेंसी फार्मूले के सहारे हैं कांग्रेस
हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है. वही अब सत्ता की आस लगाए बैठी हुई कांग्रेस एंटी इनकंबेंसी के सहारे है. हालांकि उत्तराखंड और यूपी में भी एंटी इनकंबेंसी का फार्मूला पूरी तरीके से फेल हो गया. अब कांग्रेस को हिमाचल में पूरा भरोसा है कि वह उनकी सरकार बनेगी क्योंकि हिमाचल प्रदेश की तुलना अन्य राज्यों से नहीं की जा सकती है. वहीं दूसरी तरफ भाजपा को इस बार हिमाचल में चार दशकों से चले आ रहे सत्ता परिवर्तन के मिथक को तोड़ने की पूरी उम्मीद है.
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