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बड़ी खबर
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में गठित नई सरकार नए साल में पहली बार 1500 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यह कर्ज 2 मदों में लिया जाएगा, जिसमें 1 मद में 700 करोड़ रुपए 13 साल और दूसरे मद में 800 करोड़ रुपए कर्ज 15 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से नीलामी प्रक्रिया 24 जनवरी को होगी तथा 25 जनवरी को यह राशि प्रदेश सरकार के खाते में जमा हो जाएगी। इस बार प्रदेश सरकार कर्ज लेने की अधिकतम सीमा को पार कर गई है, जिस कारण वर्तमान सरकार की तरफ से विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कर्ज की सीमा को बढ़ाए जाने के लिए संशोधन लाया गया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार पूर्व भाजपा सरकार हिमाचल प्रदेश पर 75000 करोड़ रुपए का कर्ज छोड़ गई है। इसके अलावा कर्मचारी व पैंशनरों की 11 हजार करोड़ रुपए की वित्तीय अदायगियां बाकी हैं। यानि अब वर्तमान सरकार 1500 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है।
अब 90000 करोड़ का कर्ज चढ़ जाएगा। प्रदेश में कांग्रेस सरकार ओपीएस यानि पुरानी पैंशन को बहाल कर चुकी है। हालांकि इसे लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को तैयार किया जा रहा है, जिसमें इसे लागू करने का फॉर्मूला सामने आएगा। इसके लिए सरकारी कोष पर 800 से 900 करोड़ रुपए सालाना बोझ पड़ेगा। इसी तरह कांग्रेस सरकार ने 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह देने के लिए कमेटी गठित की है। अब इसे लागू करने से प्रदेश सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा, इसका आकलन किया जाना बाकी है। इसके अलावा सरकार ने प्रदेश के लोगों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने तथा युवाओं को स्टार्टअप के लिए 680 करोड़ रुपए का फंड देना है। विधानसभा में रखी जाने वाली नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में सरकार को बार-बार अधिक कर्ज लेने के लिए आगाह किया जा चुका है। कैग का कहना था कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार को वर्ष 2025-26 में ऋण व ब्याज चुकाने पर ही 6416 करोड़ रुपए व्यय करने होंगे, जो सुखद स्थिति नहीं है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का घाटा 4074 करोड़ रुपए तक पहुंचने पर भी कैग ने चिंता जताई है।
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