हिमाचल प्रदेश

हिमाचल में आत्महत्या के मामले में 2020 के मुकाबले 2021 में 3.7 फीसदी ज्यादा केस दर्ज

Renuka Sahu
31 Aug 2022 5:58 AM GMT
In the case of suicide in Himachal, 3.7 percent more cases registered in 2021 than in 2020
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फाइल फोटो 

हिमाचल में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा चिंताजनक तौर पर राष्ट्रीय औसत से अधिक दर्ज किया जा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा चिंताजनक तौर पर राष्ट्रीय औसत से अधिक दर्ज किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार 2020 के मुकाबले 2021 में प्रदेश में सुसाइड का ग्राफ 3.7 फीसदी अधिक रहा। प्रदेश में सामने आए सुसाइड के कुल 889 मामलों में से ज्यादातर में कारण पारिवारिक समस्या और बीमारी से जुड़े रहे। राष्ट्रीय स्तर पर 2021 के जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश उन 12 राज्यों की सूची में शामिल है, जहां 2020 के मुकाबले 2021 में आत्महत्याओं के मामलों के ग्राफ में तीन फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ। 2021 राष्ट्रीय स्तर पर जहां सुसाइड की सालाना दर 12 रही, वहीं प्रदेश में यह आंकड़ा 12.3 रहा। तेलंगाना में सुसाइड के मामलों में 26 फीसदी की चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई, तो उत्तर प्रदेश और पुंडूचेरी में यह आंकड़ा 23.5 प्रतिशत रहा। 2020 की तुलना में 2021 में आंध्र प्रदेश में 14.5, केरल में 12.3, तमिलनाडू में 12.1, महाराष्ट्र में 11.5, मणिपुर में 11.4 फीसदी अधिक लोगों ने सुसाइड किया। वहीं, 2020 की तुलना में 2021 में 15 राज्यों में आत्महत्या के मामलों में कमी देखी गई।

इनमें हरियाणा, झारखंड, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और दिल्ली शामिल रहे। लक्षद्वीप में यह ग्राफ एक साल में 50 फीसदी कम हुआ। सुसाइड दर 2021 में अंडेमान निकोबार का नाम सबसे ऊपर रहा ,जहां यह दर 39.7 रही। सिक्किम में यह दर 39.2, छत्तीसगढ़ में 31.8, पूंडुचेरी और केरल में 26.9 रही। चंडीगढ़, अरुणाचल, असम मिजोरम, पंजाब और उत्तराखंड सहित 16 प्रदेशों में यह आंकड़ा राष्ट्रीय दर से कम रहा। (एचडीएम)
खुद जान देने के मुख्य कारण
2021 में सामने आए सुसाइड के मामलों में से 33.2 फीसदी में परिवारिक समस्या प्रमुख कारण रही है। 18.6 प्रतिशत मामलों में लोगों ने बीमारी से तंग आकर जान दे दी। प्रदेश में आत्महत्या के कुल 889 मामलों में से 415 ने पारिवारिक परेशानी व 230 ने बीमारी से परेशान होकर जान दे दी। शादी संबंधित मामलों से परेशान होकर सुसाइड करने वालों की संख्या 4.8 प्रतिशत रही, जबकि शादी से जुड़े मसलों से परेशान 206 लोगों ने असमय मौत का रास्ता चुना।
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