हिमाचल प्रदेश

60 दिन के कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवान शहीद हुए थे

Sonam
26 July 2023 5:53 AM GMT
60 दिन के कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवान शहीद हुए थे
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कारगिल युद्ध के 24 साल बाद भी देश के जांबाज जवानों की वीरता देशभक्ति का जज्बा भर देती है। 25 मई से 26 जुलाई 1999 तक हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में 60 दिन में हिमाचल के 52 रणबांकुरों ने शहादत पाई थी। देश की मिट्टी का एक जर्रा भी दुश्मनों को नहीं ले जाने दिया। देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि का गौरव दिलाया। कारगिल में कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 10, हमीरपुर के आठ, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ।

अदम्य वीरता और शौर्य के लिए चार परमवीर चक्र दिए थे, जिसमें से दो हिमाचल के जवानों ने पाए। पालमपुर के कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत) और बिलासपुर के संजय कुमार को सर्वाेच्च सम्मान मिला। इसके अलावा हिमाचल के सपूतों को दो अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र और 985 अन्य मेडल मिले हैं। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) खुशाल ठाकुर के नेतृत्व में 23 जुलाई को 18 ग्रेनेडियर ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था। इस यूनिट को राष्ट्रपति ने 52 वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया था।

कैप्टन विक्रम बतरा (परमवीर चक्र), लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया, जीडीआर बजिंद्र सिंह, आरएफएन राकेश कुमार, लांस नायक वीर सिंह, आरएफएन अशोक कुमार, आरएफएन सुनील कुमार, सिपाही लखवीर सिंह, नायक ब्रह्म दास, आरएफएन जगजीत सिंह, सिपाही संतोख सिंह, हवलदार सुरिंद्र सिंह, लांस नायक पदम सिंह, जीडीआर सुरजीत सिंह, जीडीआर योगिंद्र सिंह

हवलदार कश्मीर सिंह(एम-इन-डी), हवलदार राजकुमार (एम-इन-डी), सिपाही दिनेश कुमार, हवलदार स्वामी दास चंदेल, सिपाही राकेश कुमार, आरएफएन प्रवीण कुमार, सिपाही सुनील कुमार, आरएफएन दीप चंद(एम-इन-डी)।

बिलासपुर व शिमला : हवलदार उधम सिंह, नायक मंगल सिंह, आरएफएन विजय पाल, हवलदार राजकुमार, नायक अश्वनी कुमार, हवलदार प्यार सिंह, नाइक मस्त राम। शिमला से जीएनआर यशवंत सिंह, आरएफएन श्याम सिंह (वीआरसी), जीडीआर नरेश कुमार, जीडीआर अनंत राम।

चार परमवीर चक्र विजेता, फिर भी हिमाचल को है अपनी रेजिमेंट का इंतजार

अदम्य साहस के लिए देश का पहला परमवीर चक्र कांगड़ा के मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला। धन सिंह थापा का शौर्य सभी जानते हैं। आज तक कुल चार परमवीर चक्र समेत सैकड़ों युद्ध सेवा मेडल मिले, लेकिन हिमाचल को आज तक सेना में अपनी रेजिमेंट नहीं मिल पाई। 1,200 से ज्यादा गैलेंटरी अवार्ड और अवार्ड हिमाचल के रणबांकुरों के नाम हैं।

हिमाचल सरकारें समय-समय पर इस मसले को उठाती रहीं है लेकिन अभी तक इस गौरव का इंतजार है। सूबे से थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों अंगों में सवा लाख से अधिक जवान सेवाएं दे रहे हैं और इतने ही सैनिक देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त होकर घर आ चुके हैं। उत्तराखंड में कुमाऊं और गढ़वाल, हरियाणा में जाट और राजपूताना नाम से सेना की रेजिमेंट्स हैं, लेकिन सबसे अधिक बहादुरी पुरस्कार जीतने वाले सैनिकों के राज्य में एक भी नहीं।

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