हिमाचल प्रदेश

हिमाचल में जॉर्डन से आयातित खाद से दोगुना से ज्यादा दाम में बैठ रही गुड़ से बनी 'ऑर्गेनिक पोटाश'

Renuka Sahu
21 Feb 2022 2:39 AM GMT
हिमाचल में जॉर्डन से आयातित खाद से दोगुना से ज्यादा दाम में बैठ रही गुड़ से बनी ऑर्गेनिक पोटाश
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फाइल फोटो 

हिमफेड के डिपो में बेची जा रही गुड़ से बनी देसी ‘ऑर्गेनिक खाद’ की अगर सही मात्रा सेब बगीचों में डाली जाए तो यह जॉर्डन से आयातित म्यूरेट ऑफ पोटाश से भी महंगी पड़ रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमफेड के डिपो में बेची जा रही गुड़ से बनी देसी 'ऑर्गेनिक खाद' की अगर सही मात्रा सेब बगीचों में डाली जाए तो यह जॉर्डन से आयातित म्यूरेट ऑफ पोटाश से भी महंगी पड़ रही है। सेब बागवानों की ओर से इस 'ऑर्गेनिक खाद' की गुणवत्ता पर संदेह जताने के बाद हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने इसके प्रमाणित होने का दावा किया है। इसे हिसार की एक प्रयोगशाला में सही पाया गया है।

हालांकि, एक दिन पहले ही हिमफेड के प्रबंध निदेशक जीएस नेगी ने कहा था कि गोबर की तरह ही यह हिमफेड की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही ऑर्गेनिक खाद फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर के तहत नहीं आती है। इसके मानक तय नहीं होते हैं। रविवार को हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में पूरी पड़ताल की है कि यह खाद प्रमाणित है या नहीं। उन्होंने बताया कि गुड़ या खांड (मोलासेस) से निकाले गए जिस ऑर्गेनिक पोटाश को हिमफेड बेच रहा है, उसे हरियाणा सरकार के कृषि विभाग की गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला में जांचा गया है।
इस प्रयोगशाला के एक वरिष्ठ विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार इस खाद में 14.5 प्रतिशत जल में घुलनशील k2o (केटूओ) यानी पोटाशियम ऑक्साइड होता है, जबकि 5 फीसदी आर्द्रता होती है। हिमफेड इसे हिमाचल प्रदेश के कृषि निदेशक की अनुमति से बेच रहा है। इसलिए यह प्रमाणित है। हालांकि, गणेश दत्त इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए कि इस खाद का 50 किलो का एक बैग म्यूरेट ऑफ पोटाश के एक बैग का विकल्प हो सकता है या नहीं।
इस खाद का एक बैग 850 रुपये में मिल रहा है, जबकि म्यूरेट ऑफ पोटाश के एक बैग की कीमत 1050 रुपये से 1700 रुपये बढ़ाई गई है। म्यूरेट ऑफ पोटाश में 60 से 63 प्रतिशत तक केटूओ यानी पोटाशियम ऑक्साइड होता है, यानी म्यूरेट ऑप पोटाश में इस ऑगेनिक खाद से चार गुणा से ज्यादा होता है। ऐसे म्यूरेट ऑफ पोटाश के एक बैग के स्थान पर चार से ज्यादा बैग लग जाएंगे। यानी 1700 रुपये की जगह 3500 रुपये की खाद लग जाएगी।
गेहूं, धान की बजाय अब सेब के लिए भी प्रमाणित करो
हिमफेड के इसके प्रमाणित होने के दावे से असंतोष जताते हुए हिमाचल प्रदेश फल, सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि हिमफेड इसे गेहूं, धान के बजाय सेब की फसल पर भी प्रमाणित कर बताएं कि यह खाद सच में उपयोगी है या नहीं। वह यह भी जानना चाहते हैं कि क्या अगर इसे म्यूरेट ऑफ पोटाश का विकल्प बताया जा रहा है तो इसमें पर्याप्त पोटाश भी है या नहीं। अगर पर्याप्त नहीं है तो यह भी तय है कि म्यूरेट ऑफ पोटाश का जहां एक बैग (50) किलो लगता है, वहां 'ऑर्गेनिक खाद' के 200 से ज्यादा किलो यानी चार बैग लग जाएंगे। ऐसे में किसान इतनी महंगी खाद क्यों खरीदें। इससे उत्पादन की लागत भी बहुत अधिक बढ़ रही है।
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