हिमाचल प्रदेश

वेतन विसंगति के मामलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से वसूली गैरकानूनी, हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला

Deepa Sahu
24 March 2022 5:46 PM GMT
वेतन विसंगति के मामलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से वसूली गैरकानूनी, हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वेतन विसंगति से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसले में दिशा-निर्देश जारी करते हुए।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वेतन विसंगति से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसले में दिशा-निर्देश जारी करते हुए, कहा कि नियोक्ताओं की ओर से वसूली कानून में स्वीकार्य नहीं होगी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बरोवालिया की खंडपीठ ने कहा कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी सेवा से संबंधित कर्मचारियों से वसूली गैरकानूनी है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों या एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों से वसूली के आदेश देने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को विभागों की ओर से वेतन निर्धारित करते समय की गई अधिक अदायगी की वसूली को गैर कानूनी ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि देय वेतन से अधिक अदायगी की वसूली नियोक्ता नहीं कर सकता है। ऐसे मामलों में वसूली तब होती है, जब आदेश जारी होने से पहले ऐसे कर्मचारियों को पांच साल से अधिक की अवधि के लिए अतिरिक्त भुगतान किया गया हो।


तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से उपक्रम के आधार पर भी वसूली की अनुमति नहीं है। ये दिशा-निर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि कर्मचारियों की श्रेणियों के मामले उदाहरण के रूप में हैं। किसी भी सटीक, स्पष्ट रूप से परिभाषित या कठोर सूत्र निर्धारित करना और किसी भी विस्तृत सूची असंख्य प्रकार के मामले देना संभव नहीं हो सकता है। ऐसे प्रत्येक मामले को अपनी योग्यता के आधार पर तय करने की आवश्यकता होगी। इससे यह स्पष्ट होगा कि वसूली के संबंध में कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया जा सकता है। प्रत्येक मामले को वर्णित व्यापक दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपनी योग्यता के आधार पर तय करना होगा। अदालत ने यह फैसला उन याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं के एक समूह पर पारित किया, जो या तो सेवारत हैं या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं या उनके उत्तराधिकारी नियोक्ता ने उनके खिलाफ जारी वसूली नोटिस को चुनौती दी हैं।


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