हिमाचल प्रदेश

भाजपा ने 5 साल विकास किया होता तो नहीं कटते मंत्री-विधायकों के टिकट : अलका लांबा

Shantanu Roy
23 Oct 2022 9:20 AM GMT
भाजपा ने 5 साल विकास किया होता तो नहीं कटते मंत्री-विधायकों के टिकट : अलका लांबा
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बड़ी खबर
शिमला। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता अलका लांबा ने आरोप लगाया है कि यदि भाजपा सरकार ने 5 साल विकास किया होता तो मंत्री-विधायकों के टिकट नहीं कटते। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा में परिवारवाद चरम पर है। अधिकांश क्षेत्रों में विरोध के स्वर उठ रहे हैं, जिस कारण पदाधिकारी व कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ रहे हैं। अलका लांबा यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस चुनाव में भाजपा पूरी तरह से अंतर्कलह से जूझ रही है। इस कारण घोषित प्रत्याशियों की सूची में पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि धर्मपुर में जल शक्ति मंत्री के घर टिकट को लेकर द्वंद्व चल रहा है, वहीं चम्बा से महिला कार्यकर्ता का टिकट काटकर विधायक की पत्नी को प्रत्याशी बनाया गया है।
भाजपा हाईकमान का प्रदेश नेतृत्व से उठ चुका है विश्वास
अलका लांबा ने आरोप लगाया कि भाजपा हाईकमान का प्रदेश नेतृत्व से विश्वास उठ चुका है, जिस कारण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को स्वयं यहां बागियों को मनाने के लिए बैठना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जयराम ठाकुर दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से चल रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के स्टार प्रचारक प्रदेश में आकर चुनावी रैलियों को सम्बोधित करेंगे। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश की जनता भाजपा से परेशान है। ऐसे में उसके पास सबसे बेहतर विकल्प कांग्रेस है, जो हर वर्ग के हितों के लिए कार्य करेगी।
पात्रा को हिमाचल गुमराह करने के लिए भेजा
अलका लांबा ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को हिमाचल की जनता को गुमराह करने के लिए भेजा है। उन्होंने पात्रा से कुछ सवाल भी पूछे। उन्होंने जानना चाहा कि कैसे अपात्रों के खातों में किसान सम्मान निधि की धनराशि जमा की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में अपात्र किसानों, सरकारी कर्मचारियों तथा राज्य व केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 2.5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घोटाले में आयकर विभाग द्वारा पहचाने गए पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के करीबी रिश्तेदार शामिल हैं।
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