हिमाचल प्रदेश

मैंने अपना देश खो दिया, लेकिन फिर भी इस दुनिया का हिस्सा बनकर खुश हूं: धर्मगुरु दलाईलामा

Gulabi Jagat
15 Oct 2022 7:18 AM GMT
मैंने अपना देश खो दिया, लेकिन फिर भी इस दुनिया का हिस्सा बनकर खुश हूं: धर्मगुरु दलाईलामा
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धर्मशाला
मकलोडगंज में माइंड एंड लाइफ इंस्टीच्यूट व माइंड एंड लाइफ यूरोप के सदस्यों के बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा से संवाद किया। इस दौरान धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि मैं यहां भारत में शरणार्थी बन गया। मैंने अपना देश खो दिया, लेकिन फिर मैं कई अन्य जगहों के लोगों से मिला और इस दुनिया का हिस्सा बनकर मुझे खुशी हुई। मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि तिब्बत में तिब्बतियों के लिए दलाईलामा के मित्र तिब्बत के मित्र हैं। मेरी मातृभूमि में हमारे अच्छे संबंधों की सराहना है। हमें विश्वास है कि एक दिन सत्य की जीत होगी। धर्मगुरु ने कहा कि वैज्ञानिकों ने चेतना की बहुत गहराई से जांच नहीं की है। वे मस्तिष्क के संबंध में मन के बारे में सोचते हैं और फिर भी मन कुछ और है। मन मस्तिष्क की उपज नहीं है। इसकी अपनी इकाई है। धर्मगुरु ने कहा कि चेतना मस्तिष्क पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी इससे अलग होती है। चेतना और शरीर दो अलग-अलग चीजें हैं। हम मानसिक स्तर पर शांति का अनुभव करते हैं और तुलनात्मक रूप से शारीरिक आराम इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है।
Gulabi Jagat

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