हिमाचल प्रदेश

हिमाचल में होगा टीबी का एडवांस लिक्विड कल्चर टेस्ट, अत्याधुनिक बीएसएल लैब तैयार

Deepa Sahu
30 April 2022 7:55 AM GMT
हिमाचल में होगा टीबी का एडवांस लिक्विड कल्चर टेस्ट, अत्याधुनिक बीएसएल लैब तैयार
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अब हिमाचल प्रदेश में ही क्षय रोग का एडवांस लिक्विड कल्चर टेस्ट होगा।

अब हिमाचल प्रदेश में ही क्षय रोग का एडवांस लिक्विड कल्चर टेस्ट होगा। इसके सैंपल दिल्ली भेजने की जरूरत नहीं रहेगी। रिपोर्ट के लिए भी तीन माह का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग ने क्षय रोग अस्पताल धर्मपुर में एडवांस लिक्विड कल्चर टेस्ट के लिए लैब स्थापित कर दी है। इसमें सैंपल परीक्षण की रिपोर्ट 30 से 35 दिन में मरीज को मिल जाएगी। इसके बाद उनका इलाज जल्द शुरू हो सकेगा। अभी तक इस टेस्ट के सैंपल दिल्ली स्थित केंद्र सरकार की मान्यता प्राप्त लैब में भेजे जा रहे थे। जहां देशभर से सैंपल आते हैं। लिहाजा इसकी रिपोर्ट तैयार करने में ही तीन माह का समय लग जाता था। धर्मपुर में स्थापित की जा रही लैब में करोड़ों की बीएसएल-3 अत्याधुनिक जांच मशीनें लगाई जा चुकी हैं। दो माह में लैब कार्य करना शुरू कर देगी।


अभी तक प्रदेश में सॉलिड कल्चर के जरिये टीबी के सैंपलों का परीक्षण किया जाता है। प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार ओर विभाग की ओर से तेजी से कार्य किया जा रहा है। टीबी मरीजों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव में जाकर जानकारी जुटा रही हैं। अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों को लेकर भर्ती होने वाले मरीजों से भी टीबी से संबंधित डाटा लिया जा रहा है। उधर, क्षय रोग के एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. सतीश का कहना है कि टीबी की एडवांस स्टेज का पता लगाने के लिए बीएसएल-3 लैब का कार्य अंतिम चरण में है। यह लैब जल्द ही कार्य करना शुरू करेगी। इससे रिपोर्ट मरीजों को 30 से 35 दिन में मिलेगी।

क्यों पड़ी जरूरत
टीबी के एडवांस स्टेज के लिए भेजे गए सैंपल कई बार परीक्षण में अनिर्णायक (इनकनक्लूसिव) निकलते थे। रिपोर्ट के इनकनक्लूसिव आने पर विभाग को दोबारा सैंपल लेने पड़ते थे। इसमें काफी समय व्यर्थ हो जाता था। इसके चलते इस लैब की आवश्यकता हिमाचल में होने लगी और सरकार की ओर से इस लैब को धर्मपुर में स्थापित किया।

कैसे लगता है बीमारी का पता
कई बार टीबी बीमारी का पता नहीं लग पाता है। लिक्विड कल्चर जांच में बीमारी का पता लगाने के लिए बलगम के लिए सैंपल में बैक्टीरिया को छोड़ा जाता है। इससे टीबी के छोटे से छोटे बैक्टीरिया अगर बलगम में पाए जाते हैं तो तुरंत पता लग जाता है कि मरीज को टीबी की बीमारी है।


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