हिमाचल प्रदेश

हिमाचल ने सिखाया 'बेटी है अनमोल', सरकार भी सहेज रही बेटियों का खजाना

Shantanu Roy
10 Nov 2021 4:00 PM GMT
हिमाचल ने सिखाया बेटी है अनमोल, सरकार भी सहेज रही बेटियों का खजाना
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महिला साक्षरता के मोर्चे पर लगातार बुलंदियां छू रहा हिमाचल देश को 'बेटी है अनमोल' की शिक्षा भी दे रहा है. हिमाचल सरकार भी बेटियों के लिए खजाने तैयार कर रही है. प्रदेश में सरकार ने बेटियों के लिए 'बेटी है अनमोल' योजना शुरू की है.

जनता से रिश्ता। महिला साक्षरता के मोर्चे पर लगातार बुलंदियां छू रहा हिमाचल देश को 'बेटी है अनमोल' की शिक्षा भी दे रहा है. हिमाचल सरकार भी बेटियों के लिए खजाने तैयार कर रही है. प्रदेश में सरकार ने बेटियों के लिए 'बेटी है अनमोल' योजना शुरू की है. हिमाचल की अबतक डेढ़ लाख बेटियों के लिए यह योजना वरदान साबित हुई. हिमाचल प्रदेश में एक जिला ऐसा भी जहां चाइल्ड सेक्स रेशियो देशभर में सबसे ज्यादा है.

शीत मरुस्थल कहे जाने वाले लाहौल- स्पीति में एक हजार लड़कों पर एक हजार पचास लड़कियां है. राज्य सरकार ने भी बेटियों के लिए कई योजनाएं चलाई. हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों में सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं. हिमाचल के लोग भी बेटियों की अहमियत समझते हैं. केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई सुकन्या समृद्धि योजना में हिमाचल का रिकॉर्ड देश भर में शानदार है.
हिमाचल में बेटियों के नाम इस योजना के तहत माता पिता ने अरबों रुपये की रकम जमा की है.वहीं, साधनहीन परिवारों की बेटियों के लिए राज्य सरकार अभिभावक की भूमिका में नजर आ रही है. हिमाचल में 'बेटी है अनमोल' योजना साधनहीन परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में सफल रही. योजना के तहत बीपीएल परिवारों की दो बालिकाओं के जन्म के बाद उनके बैंक खाते में प्रति बेटी 12-12 हजार रुपये की राशि जमा की जाती रही है.
वर्ष 2021 से इस योजना का दायरा बढ़ाया गया और अब हर बेटी को 20 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है. इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार करना और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करना है. बालिका के बैंक या डाकघर खाते में 12 हजार रुपये की राशि जमा की जाती है. जब लड़की की आयु 18 वर्ष हो जाती है तब उस रकम को निकाला जा सकता है. यह रकम तब तक 2.50 लाख के करीब हो जाती है. इस समय प्रदेश की करीब डेढ़ लाख बेटियों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. इस योजना के जरिए माता-पिता के मन में बेटियों की आर्थिक सुरक्षा का भाव पैदा हो रहा है. वहीं, लड़कियों को भी निकट भविष्य में इस रकम के जरिए एक सहारा हासिल हो रहा है.

'बेटी है अनमोल' योजना के अन्तर्गत 1 जनवरी 2018 से 30 जून 2021 तक 3091.56 रुपये लाख खर्च किए गए. इस योजना के अन्तर्गत पहले चरण में 16443 बालिकाएं और दूसरे चरण में 87179 बालिकाएं लाभान्वित हुई. वर्ष 2018-19 में पहले चरण में 1131.45 लाख रुपये से लगभग 5730 बालिकाएं लाभान्वित हुई, जबकि दूसरे चरण में 25718 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया.

इसी तरह कुल लाभान्वित बेटियों की संख्या 2021 में डेढ़ लाख से अधिक हो गई. वर्ष 2019-20 में पहले चरण में 1211.68 रुपये से 5929 बालिकाओं और दूसरे चरण में 34926 बालिकाओं को लाभान्वित किया गया हैं. वर्ष 2020-21 में योजना के तहत पहले चरण में 748.43 लाख रुपये से 4784 लड़कियों को लाभान्वित किया गया, जबकि दूसरे चरण में 26535 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया.

यही नहीं सरकार ने 'बेटी है अनमोल' योजना के तहत बीपीएल परिवार की छात्राओं को बीए की पढ़ाई में पांच हजार रुपये सालाना स्कॉलरशिप देने का फैसला भी किया. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए एमबीबीएस व बीडीएस में एक-एक सीट रिजर्व करने का फैसला लागू है. हिमाचल में प्रति वर्ष एमबीबीएस के लिए चार सीटें सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए दी जाती है.

हिमाचल ने मंडी जिले में मेरी लाडली कार्यक्रम भी सफलतापूर्वक चलाया. इस कार्यक्रम में बेटी के जन्म पर जिला प्रशासन तोहफे के तौर पर गुड़िया भेंट करता और उसके जन्म का उत्सव मनाया जाता है. मंडी के ही मैहरन पंचायत में बेटी के जन्म पर महिलाएं बेटी है गौरी, बेटी है दुर्गा के शब्दों से लोरी गाती हैं. उल्लेखनीय है कि मंडी जिले के संधोल में बाल लिंगानुपात की स्थिति दयनीय थी. यहां एक हजार लड़कों पर महज 722 लड़कियां ही थी.

वर्ष 2015 में मेरी लाडली के नाम से मंडी जिला प्रशासन ने एक पेज शुरू किया और उसके बाद से मंडी में बेटियों की जन्मदर में उल्लेखनीय सुधार आया. हिमाचल सरकार स्कूली शिक्षा से लेकर बीए तक लड़कियों को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्तियां भी दे रही है. प्रदेश में बालिकाओं को वार्षिक आधार पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. राज्य में बालिकाओं को पहली से तीसरी कक्षा तक प्रतिवर्ष 450 रुपये, चौथी कक्षा में 750 रुपये, पांचवीं कक्षा में 900 रुपये, कक्षा छठी से सातवीं में 1050, आठवीं कक्षा में 1200 रुपये, नौवीं कक्षा से दसवीं कक्षा में 1500 रुपये और 11वीं और 12वीं कक्षा में 2250 रुपये तथा स्नातक स्तर पर पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है. इसके अतिरिक्त, बालिकाओं के उत्थान के लिए और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, राज्य सरकार ने जन्म के पश्चात 21 हजार रुपये के अनुदान के प्रावधान की भी घोषणा की है.

हिमाचल में बेटियों ने अपनी प्रतिभा से खेल के मैदान से प्रशासनिक क्षेत्र तक अपनी धाक जमाई है. सफल डॉक्टर, सर्जन, आईपीएस, आईएएस, समाजसेवा. कौन सा ऐसा क्षेत्र है, जहां हिमाचल की नारी अग्रिम पंक्ति में न दिखाई दे. प्रियंका नेगी, कविता ठाकुर विश्व कबड्डी में चर्चित नाम है. तेहरान एशियन चैंपियनशिप की ये चैंपियन बेटियां किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इसके अलावा ताईक्वांडो में जयवंती ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते हैं.

कुश्ती में रानी खूब नाम कमा रही हैं. क्रिकेटर सुषमा वर्मा का नाम सभी खेल प्रेमियों की जुबान पर है. इससे पूर्व सुमन रावत व हॉकी की गोसाईं सिस्टर्स को भला कौन नहीं पहचानता. हिमाचल की बेटियों ने चिकित्सा क्षेत्र में बहुत नाम कमाया है. सीमा पंवार महिला हार्ट सर्जन हैं. वह आईजीएमसी अस्पताल के सीटीवीएस डिपार्टमेंट में सेवारत हैं. अभावों से संघर्ष कर डॉ. लक्ष्मी सांख्यान भी सर्जन हैं.

इसके अलावा हिमाचल के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कई डिपार्टमेंट में एचओडी महिलाएं रही हैं. गीता वर्मा ने खुद बाइक चलाकर दुर्गम इलाकों में मीजल व रुबेला टीकाकरण अभियान को गति दी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने कैलेंडर में उनका चित्र प्रकाशित कर सम्मान दिया. ब्रिटेन में बॉयोलॉजी में महत्वपूर्ण शोध कर वर्तमान समय में ओडिशा में अध्यापन से जुड़ी एसोसिएट प्रोफेसर विद्या नेगी ने साधारण परिवार से अपनी सफलता के सफर की शुरुआत की.

इसी तरह विद्या नेगी की बड़ी बहन शशि सीआरपीएफ में ऊंचे पद पर हैं. वह सीआरपीएफ में सेवा के दौरान कई बार यूएन मिशन पर गईं है. सुरक्षा क्षेत्र में इतने ऊंचे पद पर पहुंचने वाली वो हिमाचल की पहली बेटी हैं. उन्होंने आतंक ग्रस्त कश्मीर में भी बहादुरी से देश की सेवा की है. जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति की बेटी डॉ. मोनिका, ऊना की बेटी शालिनी आईपीएस हैं. आईएएस अफसरों के रूप में अनिता टेगटा सहित कई महिलाओं ने छाप छोड़ी. राजनीति में भी हिमाचल की महिलाओं ने चमक दिखाई. विद्या स्टोक्स, विप्लव ठाकुर, आशा कुमारी, सरवीण चौधरी तेजतर्रार राजनीतिक शख्सियत हैं. नई पीढ़ी में कुसुम सदरेट, प्रज्जवल बस्टा व जबना चौहान का नाम है.

हिमाचल में वर्ष 20212-2013 में कॉलेज में लड़कियों के दाखिले का आंकड़ा 43 हजार, 683 रहा, जबकि लड़कों ने इसी अवधि में 24 हजार 385 की संख्या में दाखिला लिया. बेटियों के उत्साह का यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ रहा है. वर्ष 2013-2014 में 20 हजार 932 लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 43 हजार, 806 रही. वर्ष 2014-2015 में 46 हजार, 023 लड़कियों ने कॉलेज में प्रवेश लिया.

वहीं, इस अवधि में कॉलेज पहुंचने वाले लड़कों की संख्या 42 हजार, 220 रही. वर्ष 2015-2016 में लड़कियों ने रिकार्ड तोड़ संख्या में कॉलेज में दाखिला लिया.इस साल कॉलेज जाने वाली लड़कियों का आंकड़ा 58 हजार, 805 रहा. इसी दौरान लड़कों की संख्या 39 हजार, 466 रही. शैक्षणिक सत्र 2016-17 में 67 हजार, 688 लड़कियों ने कॉलेज में दाखिला लिया, जबकि लड़कों की संख्या 47 हजार, 041 रही.

यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है. मौजूदा समय में 73 हजार के करीब लड़कियां कॉलेज में अध्ययनरत हैं. इस तरह से हिमाचल ने बेटी की अहमियत को पहचानते हुए 'बेटी है अनमोल' का नारा सार्थक किया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि राज्य सरकार बेटियों के लिए कई योजनाएं चला रही है. 'बेटी है अनमोल' योजना अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरक साबित हुई हैं. यहां बता दें कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं और दोनों ही डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं. राज्य सरकार आने वाले समय में बाल लिंग अनुपात के नजरिए से सीमांत जिलों की स्थिति को सुधारने का लक्ष्य लेकर चल रही है.


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