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हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश: संसद भवन के निर्माण में लगेगी बाबा बालकनाथ-सुजानपुर दुर्ग की माटी
Gulabi Jagat
30 July 2022 7:13 AM GMT

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हिमाचल प्रदेश
हमीरपुर
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का प्राचीन काल से ही अपना एक विशेष महत्त्व रहता है। आज तक ऐसे स्थल केवल धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन की दृष्टि से ही देखे जाते रहे, लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि देश के बन रहे नए संसद भवन में इन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की पावन मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। सौभाग्यवश जिला हमीरपुर के दो ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी भी देश के नए संसद भवन के निर्माण की भागीदार बनेगी। जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग व सुप्रसिद्ध उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ के मंदिर परिसर की मिट्टी इन स्थलों के ऐतिहासिक विवरण के साथ भाषा एवं संस्कृति विभाग हमीरपुर द्वारा शिमला स्थित निदेशालय भेज दी गई है। बताते हैं कि यहां संपूर्ण राज्य के विभिन्न ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों की मिट्टी एक साथ केंद्र को भेजी जाएगी। जानकारी अनुसार निर्माणाधीन भारत के नए संसद भवन के निर्माण में संपूर्ण भारत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों से मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है, ताकि भारत के इस संसद भवन में प्रत्येक क्षेत्र का योगदान रहे। यह अभियान भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण बनाए रखने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत संपूर्ण देश से मिट्टी को एकत्रित किया जा रहा है। जिला हमीरपुर के ऐतिहासिक सुजानपुर दुर्ग और बाबा बालकनाथ मंदिर परिसर से भी आधा-आधा किलो मिट्टी भेजी गई है। इतिहास पर नजर दौड़ाएं, तो सन् 1748 ई. में कटोच वंशीय त्रिगर्त नरेश अभय चंद (1747 – 1750 ) ने सुजानपुर की पहाडिय़ों में दुर्ग तथा महल बनवाए। प्रारंभिक काल में इस स्थान का नाम अभयगढ़ था, कालांतर में इस स्थान का नाम टीहरा पड़ा।
इसके बाद आगे चलकर कटोच वंश के 479वें राजा घमंड चंद (1751-1774) हुए। इन प्रतापी राजा ने त्रिगर्त राज्य की सीमाओं के विस्तार हेतु हमीरपुर के सुजानपुर टीहरा में एक विशाल सामरिक दृष्टि से सुरक्षित किले तथा सुजानपुर नगर की आधारशीला रखी। तत्पश्चात राजा घमंड चंद के प्रपौत्र महाराजा संसार चंद (1775-1823) ने मैदानी भाग में मंदिरों का तथा पहाड़ी भाग में दुर्ग का निर्माण कर इस स्थान का नाम सुजानपुर टीहरा रखा। महाराजा संसार चंद ने इस स्थान को त्रिगर्त राज्य की राजधानी बनाया था। वहीं दूसरी ओर उत्तर भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालकनाथ की कर्मस्थली शाहतलाई बताई जाती है। कहा जाता है कि यहां बाबा जी ने घोर साधना कर लोक मानस में चमत्कारों से आस्था की जोत जगा दी थी। नैसर्गिक साधना की सशक्त स्थली गुफा मंदिर बाबा बालक नाथ का मूल मंदिर है। यह मंदिर आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना है। इसका सुनहरी मुखद्वार भी नागर शैली के अनुरूप ही बना है। इस गुफा मंदिर में बाबा बालकनाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है। वहीं निक्कू राम, जिला भाषा अधिकारी हमीरपुर ने बताया कि देश के नए संसद भवन के निर्माण में संपूर्ण भारत के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों से मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। (एचडीएम)

Gulabi Jagat
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