हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश: हर रोज जा रहे 1500 से अधिक वाहन, रोहतांग दर्रे का विकल्प बन रहा बारालाचा

Gulabi Jagat
17 Jun 2022 4:45 AM GMT
हिमाचल प्रदेश: हर रोज जा रहे 1500 से अधिक वाहन, रोहतांग दर्रे का विकल्प बन रहा बारालाचा
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हिमाचल प्रदेश न्यूज
हिमाचल प्रदेश की सैर पर आने वाले सैलानियों की पहली पसंद रोहतांग दर्रा है लेकिन, एक दिन में महज 1,200 वाहनों के ही जाने की अनुमति होने से अब पर्यटक बर्फ देखने की चाह में बारालाचा और शिंकुला दर्रा का रुख करने लगे हैं। रोहतांग दर्रे की अपेक्षा बारालाचा और शिंकुला की ओर जाने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है। मनाली-लेह मार्ग पर स्थित बारालाचा के लिए रोजाना 1,500 से अधिक वाहन जा रहे हैं। इनमें लेह की ओर जाने वाले वाहन भी शामिल हैं। बारालाचा की ओर पर्यटकों के रूझान को देखते हुए हिमाचल पर्यटन विकास निगम ने बारालाचा के लिए अपनी लग्जरी बस सेवा भी शुरू कर दी है। हर रोज दो बसें बारालाचा के लिए पैक होकर जा रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर रोहतांग के लिए वाहनों की संख्या सीमित कर दी गई है। परमिट हासिल करने के बाद एक दिन में 1,200 वाहन ही रोहतांग जा सकते हैं। इसके अलावा विशेष परमिट लेकर 100 वाहनों को जाने की अनुमति है लेकिन, पर्यटकों की संख्या इतनी अधिक है कि एक सप्ताह के लिए ऑन लाइन स्लॉट बुक हो रहा है। एक सप्ताह बाद ही रोहतांग जाने के लिए परमिट मिल रहे हैं। ऐसे में पर्यटक बारालाचा दर्रा का रुख कर रहे हैं। बारालाचा जाने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। हिमाचल पर्यटन विकास निगम के डीजीएम बीएस ओकटा ने बताया कि बारालाचा के लिए निगम की दो बसें चल रही हैं। दोनों बसें हर रोज पैक हो रही हैं। संवाद
बारालाचा में नहीं रोहतांग जैसा रोमांच
बारालाचा में बर्फ देखने की सैलानियों की हसरत जरूर पूरी हो रही है लेकिन, रोहतांग जैसा रोमांच बारालाचा में नहीं है। बारालाचा में बर्फ के बीच होने वाले रोमांचक खेल नाममात्र के हैं। परिणामस्वरूप बर्फ के बीच अठखेलियां कर सैलानी मनाली लौट रहे हैं।
रोहतांग के परमिट में की जाए बढ़ोतरी
पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि रोहतांग दर्रे के लिए दिए जाने वाले परमिट की संख्या में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। टैक्सी यूनियन के महासचिव संदीप के अनुसार रोहतांग के लिए वाहनों की संख्या बढ़ाने को लेकर टैक्सी यूनियन ने सरकार से कदम उठाने की मांग की है। प्रशासन से भी गुहार लगाई है। जबकि यूनियन ने खुद एनजीटी और उच्च न्यायालय में इसकी याचिका दायर की है।
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