हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिए आदेश, जानकारी छिपाने पर एक लाख कॉस्ट

Gulabi Jagat
7 April 2023 9:51 AM GMT
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिए आदेश, जानकारी छिपाने पर एक लाख कॉस्ट
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शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने व कोर्ट से जरूरी जानकारी छिपाने पर प्रार्थी की याचिका को 100000 रुपए कॉस्ट सहित खारिज कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पंकज शर्मा द्वारा दायर याचिका पर यह निर्णय सुनाया। प्रार्थी ने अपनी याचिका में सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में दवाई की दुकान नंबर-4 से संबंधित टेंडर को रिकॉल करने की न्यायालय से गुहार लगाई थी। इसके अलावा प्रार्थी ने 13 जनवरी, 2013 को जारी उन सरकारी आदेशों को भी रद्द करने की गुहार लगाई थी, जिसके तहत प्रार्थी को टेंडर प्रक्रिया में अयोग्य घोषित किया गया था। प्रार्थी ने टेंडर को उसके पक्ष में करने के लिए भी न्यायालय से गुहार लगाई थी। न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी विभाग ने दवाई की दुकान के लिए टेंडर आमंत्रित किया था।
प्रार्थी के अनुसार जिसने 141000 प्रति माह के हिसाब से किराया देने के लिए बिड दाखिल की थी, उसने 19 दिसंबर, 2022 को सरेंडर कर दिया था। चूंकि प्रार्थी ने 92000 प्रति माह के हिसाब से किराया देने के लिए बीड दाखिल की थी, इसलिए प्रार्थी इस दुकान को किराए पर लेने का हक रखता है। न्यायालय ने पाया कि प्रार्थी ने न्यायालय को यह बताना जरूरी नहीं समझा कि हाईएस्ट बिडर और कोई नहीं, बल्कि उसकी धर्मपत्नी थी, जो कि एनआर हॉस्पिटल चंद्रपुर बिलासपुर में प्रबंध निदेशक के तौर पर कार्य कर रही है। वह इस षड्यंत्र में प्रार्थी के साथ शामिल थी और हर तरीके से टेंडर को कम किराए पर अपने पक्ष में करवाने के लिए इन्होंने इस तरह का हथकंडा अपनाया, जो कि कानून की नजरों में मान्य नहीं है। न्यायालय ने इसे जालसाझी का मामला पाते हुए प्रार्थी की याचिका को 100000 कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया।
डीसी ने एंबुलेंस रोड पर दी जानकारी
शिमला। नालागढ़ उपमंडल के भोगपुर में एंबुलेंस रोड बनाने के लिए वैकल्पिक स्थान चिन्हित किया गया है। डीसी सोलन की ओर से पेश हिदायत में यह जानकारी हाई कोर्ट को दी गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता पोला राम और सुरजीतो देवी के अनुसार जिला परिषद सोलन ने भोगपुर गांव में एंबुलेंस रोड बनाने के लिए 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की है। 28 सितंबर, 2022 को कोर्ट ने याचिका में संलग्न ततीमा और निशानदेही के आधार पर रोड बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने अपने आदेशों में अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की थी। सरकार ने अदालत को बताया था कि ततीमा के हिसाब से रोड बनाना मुश्किल है। अदालत को बताया गया था कि राजस्व विभाग ने दोबारा से मौके की निशानदेही की है और पाया है कि रोड बनाने के लिए बीच में एक नाला पड़ता है। बरसात में अधिक पानी होने की बजह से इसका निर्माण मुश्किल है। कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि जब अदालत ने पुरानी निशानदेही के अनुसार एंबुलेंस रोड बनाने के आदेश दिए थे, तो जमीन की दोबारा से निशानदेही की क्या आवश्यकता पड़ी। कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 मई को निर्धारित की है।
जल शक्ति विभाग के सचिव तलब
हाई कोर्ट ने आदेशों की गलत व्याख्या करने पर लिया संज्ञान
विधि संवाददाता — शिमला
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जल शक्ति विभाग के सचिव को अदालत में तलब किया है। अदालत ने सचिव को आदेश दिए कि वह इस बारे में अपना स्पष्टीकरण पेश करें। मामले की सुनवाई 12 अप्रैल को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता विनय कुमार की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि सचिव ने उसके स्थानांतरण आदेशों में अदालत के ऐसे आदेशों को हवाला दिया है, जो अदालत ने नहीं दिए हैं। सचिव ने अदालत के आदेशों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता का तबादला किन्नौर जिले के पूह में किया था। अदालत ने इन आदेशों पर भी रोक लगा दी है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सचिव ने इस तरह से आदेश पारित किए कि हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता विनय कुमार और प्रतिवादी अंजु देवी को ऐसे स्थानों पर स्थानांतरण किए जाने के आदेश दिए हैं, जहां पर उन्होंने अपनी सेवाएं नहीं दी हैं। हालांकि अदालत ने ऐसे आदेश पारित नहीं किए थे। अदालत को बताया गया कि इससे पहले विभाग ने अंजु देवी का तबादला बग्गी से सुंदरनगर किया था और बग्गी में याचिकाकर्ता विनय कुमार को समायोजित किया था। अंजु देवी ने इन तबादला आदेशों को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। अदालत ने 20 मार्च, 2023 को अंजु देवी की याचिका को खारिज कर दिया था। चार अप्रैल, 2023 को सचिव ने दोबारा से हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए दोनों का तबादला किन्नौर जिला में कर दिया। इसके अनुसार अंजु देवी को रिकांगपिओ और विनय कुमार को पूह स्थानांतरित कर दिया गया।
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