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हिमाचल प्रदेश: पहली भारतीय महिला जिसने पुमोरी चोटी फतह कर बनाया रिकॉर्ड
Gulabi Jagat
10 Aug 2022 1:24 PM GMT
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हिमाचल प्रदेश न्यूज
शिमला: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं और इस वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रूप में मनाया जा रहा है. आजादी के सात दशक बाद (Indian Independence Day) भारत हर मोर्चे पर दुनिया के अग्रणी देशों को टक्कर दे रहा है. इसमें महिलाओं ने भी अपनी भूमिका निभाई है. आज महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपने हुनर का झंडा बुलंद किया है. आजादी के 75 साल का जश्न ऐसी महिला एचीवर्स के बिना अधूरा है. ये वो नारी शक्ती (Nari Shakti) है जिसने अपने जज्बे और हौसले की बदौलत देश का नाम रोशन किया. आज बात हिमाचल की उस बेटी की करेंगे जिसने 7161 ऊंची पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव (azadi ka amrit mahotsav) हासिल किया है.
पर्वतारोही बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur) जिला सोलन के कुनिहार के पास छोटे से गांव ममलीग से संबंध रखती हैं. बलजीत कौर के पिता का नाम अमरीक सिंह और मां का नाम शांति देवी है. उनके पिता हिमाचल प्रदेश ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में बस ड्राइवर हैं. बलजीत कौर के तीन भाई बहन भी हैं और वे बचपन से ही मां के साथ किसानी में मदद करती थीं.
बलजीत पहली भारतीय महिला है, जिसे 7161 ऊंची पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव हासिल हुआ है.
बलजीत कौर की शिक्षा: पर्वतारोही बलजीत कौर (Mountaineer Baljeet Kaur from Himachal) की शिक्षा भी सोलन से ही हुई है. उन्होंने सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने सोलन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. बलजीत स्कूल के समय से ही नेशनल कैडट कॉर्प्स यानी एनसीसी में शामिल हो गई (Baljeet Kaur Age Family And Lifestyle) थी. वे सोलन कॉलेज में भी एनसीसी में थी, उसी दौरान वह एवरेस्ट के एक अभियान का हिस्सा बनी थीं. लेकिन उस दौरान ऑक्सीजन मास्क की खराबी के चलते बलजीत कौर को अभियान बीच में छोड़कर लौटना पड़ा था.
21 मई को किया सपना पूरा: 21 मई 2022 को बलजीत कौर ने आखिर लंबे संघर्ष के बाद दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट को फतह किया था. बलजीत कौर शनिवार सुबह 4:30 बजे एवरेस्ट पर पहुंची थी. बलजीत कौर 17 मई को रात्रि 10 बजे अपने दल के साथ माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना हुई (baljeet kaur climbed mount everest) थी. पांच दिन तक सफर करने के बाद बलजीत को सफलता मिली. यह बलजीत का दूसरा प्रयास था.
21 मई 2022 को बलजीत कौर ने आखिर लंबे संघर्ष के बाद दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट को फतह किया.
एवरेस्ट पर चढ़ने का पहले भी कर चुकी हैं प्रयास: कुछ साल पहले जब वह सोलन कॉलेज में एनसीसी में थी, तो एवरेस्ट के एक अभियान का हिस्सा बनी थीं. लेकिन उस दौरान ऑक्सीजन मास्क की खराबी के चलते बलजीत कौर को अभियान बीच में छोड़कर लौटना पड़ा (baljeet kaur biography) था. बलजीत की शिक्षा सोलन कॉलेज से हुई है और इस दौरान बेहतरीन एनसीसी कैडेट के रूप में बलजीत ने अपनी पहचान बनाई थी.
पहली भारतीय महिला जिसे पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव हासिल: बलजीत पहली भारतीय महिला हैं, जिसे 7161 ऊंची पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव हासिल हुआ (azadi ka amrit mahotsav) है. पुमोरी चोटी हासिल करने के बाद से बलजीत ने कहा था कि उनके हौसलों की यह उड़ान अब थमने वाली नहीं है और अगले वर्ष ही वह एवरेस्ट पर तिरंगा फहराएंगी और 21 मई, 2022 को उन्होंने अपने इस सपने को पूरा कर दिखाया और भारत का नाम रोशन किया.
बता दें कि पुमोरी चोटी एवरेस्ट पर्वत श्रृंखला की कठिन चोटी है. सोलन की बलजीत ने इस पर विजय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया है. इससे पहले 10 मई को दो भारतीय पुरुषों कुल्लू के हेमराज और स्तेंजिन नोरबो ने भी पहले भारतीय युगल के रूप में पुमोरी को फतह किया था. पुमोरी एवरेस्ट समूह की कठिन चोटियों में से है. इसे एवरेस्ट की छोटी बहन कहा जाता है, जो समुद्र तल से 7,161 मीटर ऊंचाई पर है.
बचपन से सेना में जाने का था शौक: बलजीत कौर (Nari Shakti Baljeet Kaur) ने बताया कि उन्हें बचपन से सेना में जाने का शौक था. उनके पापा भी फौज से सेवानिवृत्त थे. इसके कारण उन्होंने एनसीसी ज्वाइन कर ली थी.
बलजीत की मां हैं उनकी ताकत: बलजीत ने अपनी मां को उनकी हिम्मत और जोश का क्रेडिट दिया है. बलजीत बताती हैं कि उनकी मां ने हमेशा ही उन्हें मजबूत बन कर काम करने की सीख दी है. उनकी मां ने ही उन्हें सिखाया है कि कैसे किसी भी परिस्थिति का सामना बिना डरे किया जा सकता है. वहीं, बलजीत के पिता ने भी हमेशा उनका साथ दिया है.
देश की बेटियों के लिए संदेश: बलजीत ने देश की महिलाओं और बेटियों को बिना डरे हर चुनौती का सामना करने की अपील की है. बलजीत का कहना है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत की जरूरत है. जब आपको पता है कि आप सही हैं तो समाज क्या कहेगा उसकी परवाह न करें. इसके अलावा अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समझने और उनके साथ खड़े होने की जरूरत पर भी बल दिया.
Gulabi Jagat
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