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हिमाचल प्रदेश: आखिर किसकी शह पर ऊर्जा मंत्री के खिलाफ मदन मोहन की तिगड़ी ने खोला मोर्चा
Gulabi Jagat
16 Oct 2022 4:22 PM GMT
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नाहन
कार्यकर्ता स्वाभिमान सम्मेलन की आड़ में सुखराम चौधरी के टिकट की खिलाफत में अब मनीष तोमर के साथ मदन मोहन और रोशन शास्त्री एकजुट हो गए हैं। रविवार को सुखराम चौधरी की गृह पंचायत पुरूवाला में दर्जनों पूर्व प्रधान सहित मौजूदा पंचायत प्रधान सुषमा भी एक मंच पर नजर आए। भाजपा के इस गुट में तीनों की जुगलबंदी के पीछे भाजपा के ही कद्दावर नेता का हाथ भी चर्चा में माना जा रहा है।
हालांकि पांवटा साहिब कि यह विधानसभा सीट अभी तक भाजपा के संभावित प्रत्याशी सुखराम चौधरी के लिए सबसे सेफ मानी जा रही थी, मगर अब राजनीतिक समीकरण हाईकमान के निर्णय पर आ अटके हैं। माना जा रहा है कि इस प्रकरण के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल और जय राम गुप सक्रिय हो चुका है। एक सोची-समझी रणनीति के तहत मनीष तोमर और मदन मोहन ने रोशन शास्त्री को अपना पूर्ण समर्थन दे दिया है। बता दे कि मदन मोहन खुद को जगत प्रकाश नड्डा के खास बताते हैं।
यही नहीं वह दिल्ली में भी उनसे मिलकर आ चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ उनकी फोटो भी एक बड़ी चर्चा का विषय रही। अब यदि इस क्रूशियल समय में सुखराम चौधरी के टिकट पर अगर संकट आता है तो निश्चित तौर पर भाजपा ना केवल पांवटा साहिब में बल्कि शिलाई विधानसभा क्षेत्र में भी बैकफुट पर चली जाएगी। साथ ही नाहन विधानसभा क्षेत्र में डॉ राजीव बिंदल की जीत का मार्जन भी काफी ज्यादा घाटे में पड़ जाएगा। अगर थोड़ा फ्लैशबैक देखा जाए तो टिकट की दावेदारी मनीष तोमर के द्वारा की गई थी।
मनीष तोमर के सिर पर किस का वरदहस्त है इससे सभी अच्छी तरह वाकिफ है। मगर मौजूदा समय पैदा की गई परिस्थितियों से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि यहां दावेदारी से ज्यादा भाजपा में ही अपने ही कद्दावर मंत्री को विधानसभा चुनाव में हराए जाने की तैयारी की जा रही है। मदन मोहन और मनीष तोमर के पीछे रणनीति तैयार करने वाले प्रमुख ने बड़े ही सटीक तरीके से रोशन शास्त्री को प्रोजेक्ट किया है। इसकी बड़ी वजह बाहती बिरादरी के वोट को वाइफरगेट करना है।
हैरानी तो इस बात की है कि पिछले 2 महीनों से चल रहे इस प्रकरण को लेकर संगठन भी चुप्पी साधे बैठा है। ऐसे में संगठन शीर्ष की चुप्पी कहीं ना कहीं मदन मोहन, रोशन और मनीष को सपोर्ट करती नजर आती है। अगर यहां संगठन सही समय पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करता तो आज पांवटा साहिब में बगावती बिगुल कर्कश ध्वनि उत्पन्न ना करता। प्रदेश में रिवाज बदलने को आतुर भाजपा जहां प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल, शांता कुमार और जयराम ठाकुर एकजुटता का संदेश देते हुए नजर आ रही है , वही आम जनता अब पशोपेश में है।
हालांकि आज जो सुखराम के खिलाफ कार्यकर्ता स्वाभिमान सम्मेलन हुआ है, उसमें वर्तमान पंचायत प्रधान केवल एक ही नजर आई बाकी सब पूर्व प्रधान और वह भाजपाई चेहरे नजर आए जो लंबे समय से चिर निंद्रा में सोए हुए थे। हैरानी तो इस बात की भी है इस सम्मेलन में अधिकतर वह चेहरे भी नजर आए जो कल हाटी बनकर अमित शाह के कार्यक्रम में शामिल थे। एक बात तो साफ हो गई है की भले ही बगावती सुर भले बसंत राग गा रहे हो मगर सुखराम चौधरी की भैरवी इन पर फिर भी भारी पड़ रही है।
ऐसे में जिस तरीके से शीर्ष नेतृत्व गुमसुम और चुपचाप नजर आ रहा है वह सुखराम चौधरी के टिकट को लेकर आम जनता के जहन में सवालिया निशान खड़े कर रहा है। जाहिर है यदि यह गेम पलटती है तो आम आदमी पार्टी के मनीष ठाकुर ना केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस पर भी झाड़ू फेरते हुए नजर आ रहे हैं। बरहाल, आज की इस कथित कार्यकर्ता स्वाभिमान की बगावती बरसात की बूंदों के छींटे दिल्ली तक पहुंच चुके हैं। देखना यह होगा कि यह बरसाती छींटे बाढ़ बनकर सुखराम का टिकट बहा ले जाएंगे या फिर हिचकोले खाती चौधरी की नाव को पतवार देंगे।
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Gulabi Jagat
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