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हिमाचल प्रदेश
यहां 91 लाख साल से नहीं बदला तापमान, छिपकली व अजगर के जीवाश्म पाए गए
Gulabi Jagat
17 Dec 2022 5:27 PM GMT

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नई दिल्ली/शिमला,17 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला की शिवालिक पहाड़ियों के हरितल्यांगर (Haritalyangar) में उत्तरार्धकाल के मियोसीन होमिनिड इलाके में 91 लाख वर्ष पहले विचरण करने वाली छिपकलियों और सांपों के जीवाश्मों (Fossils) को खोजा गया है, जो इस क्षेत्र में लगभग 15-18.6 डिग्री सेल्सियस के औसत वार्षिक तापमान के साथ क्षेत्र में एक मौसमी आर्द्र उप शुष्क जलवायु (humid sub-arid climate) का संकेत देते हैं। खास बात ये है कि मौजूदा में भी इलाके में तापमान की स्थिति वैसी ही है, जैसी 91 लाख साल पहले हुआ करती थी।
शोध में यह बात भी सामने आई है कि शिवालिक की पहाड़ियों में उस अवधि के दौरान औसत तापमान 15 से 18.6 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता होगा। क्योंकि इस तापमान में ही अजगर, छिपकली ( lizards) जैसे सरीसृप (Reptiles) रह सकते हैं।
छिपकली और सांप ठंडे रक्त ( cold-blooded squamates) के शल्क-वाले सरीसृप (रेप्टाइल्स) अर्थात स्क्वामेट हैं, जिनका क्षेत्र में वितरण, प्रचुरता और विविधता, तापमान एवं जलवायु जन्य परिस्थितियों पर अत्यधिक निर्भर है। इस कारण से शल्क वाले सरीसृप को व्यापक रूप से पिछली जलवायु, विशेष रूप से परिवेश के तापमान के उत्कृष्ट संकेतक के रूप में चिन्हित किया जाता है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) देहरादून, पंजाब विश्वविद्यालय (Punjab University ) चंडीगढ़, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़, पंजाब और ब्रातिस्लावा में कमेनियस विश्वविद्यालय, स्लोवाकिया( University in Bratislava, Slovakia) के शोधकर्ताओं के सहयोग से पहली बार इस क्षेत्र से टैक्सा, वरानस, पायथन, एक अहानिकर (कोलब्रिड) और एक नैट्रिकिड सर्प का दस्तावेजीकरण (Documentation) किया गया है।
वरानस प्रजाति की कशेरुकाओं के दृश्य-
हरितल्यांगर में टैक्सा वरानुस की उपस्थिति इसके पिछले जैव विविधता के संबंध में महत्वपूर्ण है, क्योंकि एशिया में वैरनाइड्स का एक सीमित जीवाश्म रिकॉर्ड (Fossil Record) है। इसके अलावा पाकिस्तान और कच्छ (गुजरात) के शुरुआती रिकॉर्ड को छोड़कर, दक्षिण एशिया से जीवाश्म अजगर (पायथन) की उपलब्धि खराब है। दो प्रतिष्ठित स्क्वामेट्स- वरानस और पाइथन के सह-अस्तित्व ने इस दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में इस जीव शाखा (क्लैड) के व्यापक वितरण का पता चला है।
समग्र हरितल्यांगर में व्याप्त शल्क-वाले सरीसृप जीव में छोटे अर्ध-जलीय और स्थलीय टैक्सा दोनों का वर्चस्व पाया गया है। इसके अलावा औसत वार्षिक तापमान भी उस समय इस क्षेत्र में उच्च रहा होगा,15-18.6 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं था। मौजूदा में भी क्षेत्र में औसत वार्षिक तापमान के समान होने का संकेत मिलता है। गौरतलब है कि सिरमौर के सुकेती जीवाश्म पार्क की समूचे एशिया में एक अलग पहचान हुआ करती थी। ये जगह भी शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है।
ये थे खोजकर्ता….
डॉ. निंगथौजम प्रेमजीत सिंह ने वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के डॉ. रमेश कुमार सहगल और अभिषेक प्रताप सिंह, पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) से डॉ. राजीव पटनायक, डॉ. केवल कृष्ण और शुभम दीप, आई.आई.टी. रोपड से डॉ. नवीन कुमार, पीयूष उनियाल एवं सरोज कुमार और कोमेनियस विश्वविद्यालय से डॉ.आंद्रेज सेरनस्की के साथ अध्ययन का नेतृत्व किया। इसे नवंबर 2022 में जियो विओस जर्नल में प्रकाशित किया गया।
ये महत्वपूर्ण…
हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पहाड़ियों में 91 लाख साल पहले इन सरीसृपों का पाया जाना इस बात की तस्दीक करता है कि शिवालिक पहाड़ियों में औसत वार्षिक तापमान के साथ क्षेत्र में एक मौसमी गीली उप-आर्द्र से अर्ध-शुष्क जलवायु लाखों साल पहले आज की तरह ही थी।

Gulabi Jagat
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