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Kullu, Gods and Goddesses take decisions: यहां देवी-देवता लेते हैं निर्णय पालन न करने पर मिलता है भारी दंड
देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर देवी-देवताओं की संसद लगती है। नग्गर में स्थित जगती पट एक बेहद ही पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर एक छोटे से मंदिर में एक बड़ी सी शीला रखी गई है। ये देव शिला 5 फीट लंबी, 5 फीट चौड़ी और 6 इंच माेटी हैं। ऐसा माना जाता है कि 18 करोड़ देवी-देवताओं ने मधुमक्खी का रूप धारण करके इस शीला को नेहरू कुंड के पास एक चट्टान से काटकर यहां पर लाया था। इस चट्टान से कटी उस बड़ी सी शीला को ही जगती बट कहा जाता है, यानी कि सिहासन।
जगती का आयोजन भगवान रघुनाथ जी के मंदिर, नग्गर में स्थित जगती पट मन्दिर और ढालपुर मैदान में किया जाता है। कई बार राज परिवार के सबसे बड़े सदस्य यानी राजा भी किसी विशेष समस्या या विश्व शांति के लिए इसे बुलाते हैं। जगती देव आदेश पर ही होती है। अगर इसका आयोजन नग्गर स्थित जगती पट में होना है तो उसके लिए माता त्रिपुरा सुंदरी को पूछा जाता है और भगवान रघुनाथ जी ही दिन तय करते हैं।