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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार आज की तारीख में सबसे बड़ी मुकद्दमेबाज है जो भारी भरकम राशि मुकद्दमे बाजी पर खर्च कर रही है और इससे सरकारी खजाने पर पानी फिर रहा है। सरकारी अधिकारियों को झगड़ालू ढंग से मुकद्दमेबाजी करने की बजाय अपनी जिम्मेदारियां अपने कंधों पर लेते हुए फावड़े को फावड़ा कहने का साहस जुटाना होगा। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग में डैपुटेशन से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए सरकार पर यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि बार-बार सरकार पर दबाव डाला जाता रहा है कि वह मुकद्दमेबाजी नीति को लागू करे। तभी कोर्ट यह उम्मीद कर सकता है कि सरकार के मुकद्दमे में कोई समझ और संवेदनशीलता है। कोर्ट ने पूरे मामले को खंगालने के बाद स्कूल के प्रिंसीपल को कसूरवार पाया जिसने बार-बार अनुरोध के बावजूद प्रार्थी को भारमुक्त नहीं किया। कोर्ट ने उच्चतर शिक्षा निदेशक के जवाब पर हैरानी जताई और कहा कि यदि प्रतिवादी अधिकारियों ने स्पष्ट तौर पर प्रिंसीपल की गलती मानी होती तो अधिकारी की सराहना की जा सकती थी परंतु वे ऐसे कारणों का आविष्कार करने में जुट गए जो बिल्कुल झूठे, बेतुके और अन्यथा कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि सरकार ने अपनी अनुचित कार्रवाई को उचित ठहराने का प्रयास किया।
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Shantanu Roy
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