हिमाचल प्रदेश

बेटियों को सम्पत्ति में समान अधिकार प्रदान करने की दिशा में सरकार का निर्णायक कदम

Shantanu Roy
5 April 2023 9:54 AM GMT
बेटियों को सम्पत्ति में समान अधिकार प्रदान करने की दिशा में सरकार का निर्णायक कदम
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शिमला। लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने 51 वर्ष पुराने हिमाचल प्रदेश भू जोत अधिकतम सीमा अधिनियम 1972 में संशोधन किया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से अब पैतृक सम्पत्ति में वयस्क बेटी को भी एक अलग इकाई माना जाएगा। राज्य सरकार ने मौजूदा अधिनियम की धारा 4 की उपधारा 4 में शब्द सम्मिलित कर त्रुटि को सही किया है। इस संशोधन के उपरांत बेटी को बेटे के समान एक अलग इकाई के रूप में शामिल किया गया है। इससे पहले इस अधिनियम में एक वयस्क पुत्र को अलग इकाई के रूप में अतिरिक्त 150 बीघा भूमि तक का प्रावधान था जबकि वयस्क पुत्री को इस समान अधिकार से वंचित रखा गया था। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर प्रदेश विधानसभा में 29 मार्च, 2023 को यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया और लैंगिक समानता सुनिश्चित करते हुए 3 अपै्रल, 2023 को इसे पारित कर दिया गया। इससे पैतृक सम्पत्ति में पुत्र और पुत्री दोनों को ही स्वतंत्र इकाई मानते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित की गई है। यह विधेयक भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लैंगिक असमानता को दूर करने का मार्ग प्रशस्त करता है। मुख्यमंत्री ने इस विषय में विशेष रुचि दिखाते हुए राज्य विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में इस संशोधन विधेयक को प्रस्तुत करने की पहल की। प्रदेश सरकार के इस कदम का समाज के सभी वर्गों ने स्वागत करते हुए इसे राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक पहल करार दिया है। सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने आवश्यक संशोधन कर पुत्रियों वाले लाखों परिवारों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का उद्देश्य लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाले असंवैधानिक खंडों को हटाकर बेटियों को पैतृक सम्पत्ति के भू-स्वामित्व में समान अधिकार सुनिश्चित करना है।
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