हिमाचल प्रदेश

प्राकृतिक खजाना मिलने से सरकार-पर्यटन विभाग करेेगा निर्माण, भागसूनाग में पहला जिओ डायवर्सिटी पार्क

Gulabi Jagat
7 May 2023 4:37 PM GMT
प्राकृतिक खजाना मिलने से सरकार-पर्यटन विभाग करेेगा निर्माण, भागसूनाग में पहला जिओ डायवर्सिटी पार्क
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मकलोडगंज: पर्यटन नगरी मकलोडगंज के भागसूनाग में भारत का पहला जिओ डायवर्सिटी पार्क बनाया जाएगा। हाल ही में ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा प्रमुखता से जिओ डायवर्सिटी पार्क के मुद्दे को उठाया गया था। इसके बाद अब सरकार और पर्यटन विभाग मकलोडगंज के समीप भागसूनाग में जिओ डायवर्सिटी पार्क बनाने जा रही है। बता दें भागसूनाग में 250 से 300 मिलियन (30 करोड़) वर्ष पुरानी चट्टानें पाई गई है। इन चट्टानों की पहचान जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक एलएन अग्रवाल ने की। उन्होंने बताया था कि इन चट्टानों की उत्पति हिमालय के साथ हुई है और यहां भागसूनाग में भारत का पहला जियो डायवर्सिटी पार्क बन सकता है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक एलएन अग्रवाल ने बताया कि इन फोल्ड होने वाली चट्टानों का रिसर्च स्कॉलर व छात्र के साथ-साथ अन्य लोग भी अध्ययन कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इस विषय में अध्ययन करने व रिसर्च करने वालों के लिए यह एक बड़ा प्राकृतिक खजाना है, जिससे कई अहम विषयों के रिसर्च सामने आ सकेंगे। -एचडीएम
जिओ डायवर्सिटी पार्क में लगेंगे साइन बोर्ड-रेलिंग
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक विनय धीमान का कहना है कि प्रस्ताव को निदेशालय भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है। पर्यटन नगरी मकलोडगंज के समीप भागसूनाग में जिओ डायवर्सिटी पार्क बनाया जाएगा, जिसमे जियो डायवर्सिटी पार्क संबंधी साइन बोर्ड व रेलिंग बनाई जाएगी। जिओ डायवर्सिटी पार्क में इन बैंड होने वाली चट्टानों के महत्त्व से लेकर तमाम सारी जानकारी बोर्ड लगाकर यहां आने वाले सैलानियों तक पहुंचाई जाएगी।
चट्टानों की आकृति फोल्ड
सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक एलएन अग्रवाल ने बताया कि भागसूनाग मंदिर से भागसू वाटरफॉल को जाते समय रास्ते में बैंड होने वाली चट्टाने हैं। ऐसी चट्टानें मिलियन वर्ष पुरानी हैं। भागसूनाग में पाई जाने वाली इन चट्टानों की आकृति फोल्ड या यूं कहे कि पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़े जाने की प्रवृत्ति दिखती है। साथ ही इन चट्टानों में सीमेंट तैयार किए जाने के वे कण भी पाए गए हैं, जो कि हजारों वर्ष पूर्व की इन चट्टानों का जियोलॉजी के तहत भी अपना विशेष महत्त्व रखती है।
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