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हिमाचल प्रदेश
लघु बिजली परियोजनाओं पर सरकार ने स्वतंत्र बिजली उत्पादक से मांगा ब्यौरा
Shantanu Roy
9 Jun 2023 10:23 AM GMT

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शिमला। हिमाचल में सौ फीसदी बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने की तैयारी राज्य सरकार ने कर ली है। राज्य सरकार ने स्वतंत्र बिजली उत्पादक (आईपीपी) से 15 दिन में वाटर सेस पर रिपोर्ट तलब की है। खासतौर पर यह रिपोर्ट लघु जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर मांगी गई है। पांच मेगावाट तक की क्षमता के बिजली प्रोजेक्ट वाटर सेस देंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। खास बात यह है कि इन प्रोजेक्ट प्रबंधन ने वाटर सेस लगने के बाद आय 50 से 100 फीसदी तक कम होने की बात कही है। इस फैसले के बाद लघु जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस के असर का खौफ साफ नजर आने लगा है। यही वजह है, जो उन्होंने राज्य सरकार के साथ वार्तालाप शुरू कर दिया। राज्य सरकार ने हर कीमत पर वाटर सेस को प्रदेश की सभी बिजली परियोजनाओं पर लागू करने की बात कही है, जबकि पांच मेगावाट तक की उत्पादन क्षमता के प्रोजेक्ट पर वाटर सेस का असर आय के सौ फीसदी तक पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस बारे में एक रिपोर्ट भी सौंपी गई है।
इस रिपोर्ट में प्रदेश भर में एक से चौदह मेगावाट तक की 42 बिजली परियोजनाओं को शामिल किया गया है। ये प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन से जो आय अर्जित कर रहे हैं वाटर सेस उनमें 46 से 101 फीसदी तक पहुंच रहा है। यही वजह है जो वाटर सेस लागू करने की तैयारी के बीच लघु बिजली परियोजना प्रबंधन चिंता में डूब गए हैं। राज्य सरकार को तय नियमों के मुताबिक वाटर सेस देते हैं तो इनकी आय 50 से 100 फीसदी तक कम हो जाएगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि वाटर सेस के लागू होने के बाद बहुत सी बिजली परियोजनाएं आर्थिक रूप से अव्यावहारिक हो जाएंगी। बहुत सी परियोजनाएं वाटर सेस लागू होने से पहले ही एनपीए हो चुकी हैं। रिपोर्ट में राज्य को मौजूद परिस्थितियों में हो रही आय का भी खुलासा किया गया है। इनमें प्रदेश में चल रही 111 जलविद्युत परियोजनाओं से रायल्टी के माध्यम से बीते वित्तीय वर्ष में 223.60 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व हासिल हुआ है, जबकि बिजली की खरीद और बिक्री से बिजली बोर्ड को 1221.71 करोड़ जबकि हरित ऊर्जा से 33 करोड़ रुपए की वार्षिक आय हो रही है। हिमाचल में बिजली उत्पादन की कुल क्षमता 24545 मेगावाट है, जबकि अभी तक 50 फीसदी से भी कम का उत्पादन राज्य में हो रहा है। प्रदेश में स्थापित बिजली परियोजनाओं में 11149 मेगावाट का ही उत्पादन हो रहा है। लघु जलविद्युत परियोजनाओं की बात करें तो इनकी कुल क्षमता 3539 मेगावाट है और इनमें से 754 मेगावाट अभी तक स्थापित हो चुकी हैं। जो कुल लक्ष्य का करीब 6.8 प्रतिशत है।
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Shantanu Roy
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