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- लाहौल में कहीं भारी ना...
कुल्लू: जुलाई और अगस्त माह में कुदरत का कहर राज्य के लगभग सभी जिलों में बरपा. आपदा से मिले जख्मों को भरने में वक्त लगेगा, लेकिन प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में बरसात के मौसम में भी अवैध खनन की रफ्तार जारी रही. चंद्रभागा नदी व अन्य सहायक नदियों व नालों पर खनन माफिया का कब्जा जारी रहा। नदियों और नालों से रेत और पत्थरों के अवैध खनन का दौर अभी भी जारी है. हालाँकि हाल ही में राज्य में बाढ़ से हुए नुकसान के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत राज्य की नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरण को संरक्षित करने और बस्तियों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टोन क्रशर भी बंद कर दिए गए थे, लेकिन खनन माफिया फिर सक्रिय हो गए हैं। अवैध गतिविधियों को भी अंजाम दे रहा है.
इस बीच लाहौल-स्पीति जिले में अवैध खनन माफिया ने सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज कर अवैध खनन पर जोर दिया. पर्यावरणविदों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की खूबसूरती में अलग पहचान बनाने वाले लाहौल-स्पीति जिले में अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को उचित कदम उठाने होंगे. अन्यथा अवैध खनन लाहौल-स्पीति जिले में तबाही को न्योता दे सकता है। हिमाचल के लाहौल-स्पीति जिले में आई भीषण बाढ़ के बाद भी अवैध खनन की रफ्तार नहीं रुकी. हालांकि अवैध खनन करने वाले लोग और खनन के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन पुलिस के शिकंजे में जरूर फंसे, लेकिन उन्होंने लाहौल-स्पीति की नदियों और नालों को छलनी कर दिया है. पुलिस विभाग के आंकड़ों की बात करें तो 20 जुलाई से अब तक लाहौल-स्पीति जिले में अवैध खनन के 34 मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने अवैध खनन करने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है और जुर्माना भी वसूला है.
लेकिन इसके बावजूद खनन माफिया सक्रिय हैं. हर दूसरे-तीसरे दिन अवैध खनन के मामले पुलिस फाइल में दर्ज हो रहे हैं। 50 दिनों की अवधि में लाहौल-स्पीति जिले में अवैध खनन के 34 मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने खनन कर रहे लोगों से 166900 रुपये का जुर्माना भी वसूला है. हालाँकि, राज्य के सुदूर जिलों में खनन माफिया का बेलगाम प्रभाव स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।