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वल्लभ राजकीय महाविद्यालय, मंडी में 'सतत विकास के लिए जैव विविधता और पर्यावरण के उभरते मुद्दे' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कल संपन्न हुआ। यहां आयोजित समापन समारोह में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, उत्तराखंड के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी मुख्य अतिथि थे। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जैव विविधता और पर्यावरण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग में मानव और प्रकृति के बीच संबंधों को परिभाषित करने की आवश्यकता है। प्रो.अवस्थी ने कहा कि जैव विविधता और पर्यावरण के उभरते मुद्दों पर जागरूकता अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सेमिनारों के माध्यम से फैलाई जा सकती है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों एवं शोधकर्ताओं को प्रमाण पत्र प्रदान किये।
कॉलेज प्रिंसिपल सुरीना शर्मा ने कहा कि सतत विकास के लिए जैव विविधता और पर्यावरण का संरक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की समन्वयक डॉ. मोनिका पंचानी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 78 ऑनलाइन शोध पत्र और 92 ऑफलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किये गये. इस सम्मेलन में देश-विदेश के 170 से अधिक वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
इस आयोजन के मीडिया समन्वयक डॉ. चमन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दक्षिण कोरिया के कोंकुक विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशिकांत भाटिया ने 'सतत विकास के लिए सूक्ष्मजीव' विषय पर एक ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमसी सिद्धू ने 'जैव विविधता और इसकी संरक्षण रणनीति' पर एक शोध पत्र प्रस्तुत किया।