हिमाचल प्रदेश

कुल्लू के पीज में ग्लैंडर्स वायरस से 3 घोड़ों की मौत

Shantanu Roy
12 May 2023 9:24 AM GMT
कुल्लू के पीज में ग्लैंडर्स वायरस से 3 घोड़ों की मौत
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बड़ी खबर
मौहल। जिला कुल्लू के पीज में खतरनाक जानलेवा महामारी हॉर्स ग्लैंडर्स की खबर के बाद अब महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। पीज गांव में एक अश्व पालक के एक घोड़े में खतरनाक हॉर्स ग्लैंडर्स वायरस मिला है जो चिंता का विषय बन गया है। आखिर यह खतरनाक वायरस जिला मुख्यालय के साथ लगते पीज गांव में कहां से आया, इसकी खोज में अब पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग जुट गया है। गत माह अश्व पालक बुध राम के 2 घोड़े बीमारी से मर गए। वहीं कुछ समय बाद तीसरा घोड़ा बीमार हुआ तो इसके बीमार होने पर जो सैंपल टैस्ट के लिए भेजा उससे पता चला कि घोड़े के भीतर खतरनाक ग्लैंडर्स वायरस है जो घोड़े, ख'चरों और गधों में फैल कर महामारी का रूप धारण करता है। गत सप्ताह रिपोर्ट आते ही जिला प्रशासन के त्वरित आदेश के बाद जिला पशुपालन विभाग की टीम ने मौके पर जाकर मृत घोड़े के सहयोगियों को भी इंजैक्शन से मार दिया।
बता दें कि ग्लैंडर्स घोड़े व ख'चरों के भीतर पनपने वाला वायरस है, जिससे घोड़े में लंपी रोग के लक्षणों के साथ मुंह से खून व पानी बहना शुरू होता है। हॉर्स ग्लैंडर्स के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि यह वायरस महामारी का रूप लेकर मानव तबाही का कारण बन सकता है। इस बीमारी को महामारी का दर्जा दिया है तथा कोरोना से ज्यादा खतरनाक नियमों के साथ इसका अनुपालन जरूरी है। अगर काई इस वायरस की अवहेलना करेगा तो उसे किसी की हत्या करने के बराबर जुर्म माना जाता है। इसके अनुसार अश्वपालकों, पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के साथ जिला प्रशासन को दिशा-निर्देश दिए हैं। क्षेत्र में इस वायरस के बाद 25 वर्ग किलोमीटर तक वायरस प्रभावित घोड़े, खच्चरों व गधों के साथ इनके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को सतर्कता के साथ क्वारंटाइन रहने की सलाह दी जा रही है। पशुपालन विभाग कुल्लू की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आशा ठाकुर ने बताया कि समय-समय पर घोड़े, खच्चरों और गधों की स्क्रीनिंग होती है, जिससे इस खतरनाक वायरस का पता चलता है। पीज में बीमार घोड़े में जब इस वायरस की पॉजिटिव रिपोर्ट मिली तो तुरंत इसके साथ अन्य सहयोगी घोड़ों को मार कर सावधानी के साथ दबाया गया। क्षेत्र में सभी घोड़ों की जांच हो रही है। इस वायरस से प्रभावित घोड़ों को मारने पर अश्व पालक को प्रति घोड़ा 25 हजार रुपए सहानुभूति राशि भी प्रदान की गई।
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