हिमाचल प्रदेश

पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, कहा- क्यों सिरे नहीं चढ़े चामुंडा, शिमला रोप-वे

Renuka Sahu
24 Feb 2022 3:39 AM GMT
पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, कहा- क्यों सिरे नहीं चढ़े चामुंडा, शिमला रोप-वे
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फाइल फोटो 

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार प्रदेश की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार प्रदेश की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। यही कारण है कि सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण आज प्रदेश में कोई नया निवेश नहीं आया है। नई योजनाओं और परियोजनाओं की तो बात दूर, पूर्व कांग्रेस सरकार के समय की परियोजनाओं पर भी कोई काम नहीं हो रहा है। सुधीर शर्मा ने चामुंडा से हिमानी चामुंडा और शिमला बाइपास से जोधा निवास तक बनने वाली रोप-वे परियोजनाओं को निरस्त करने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों ही रोप-वे परियोजनाओं से सरकार को सैकड़ों करोड़ की आय होनी थी। सुधीर शर्मा ने कहा कि दुख की बात है कि श्री चामुंडा माता मंदिर से हिमानी चामुंडा के लिए बनने वाले रोप-वे प्रोजेक्ट को टर्मिनेट कर दिया गया है।

हिमानी चामुंडा रोप-वे का काम वर्ष 2015 में दिल्ली की उषा ब्रेको कंपनी को पीपीपी मोड में अवार्ड किया गया था। इसकी लागत 400 करोड़ रुपए आनी थी और लंबाई लगभग छह किलोमीटर तक प्रस्तावित थी। इसमें चामुंडा और हिमानी चामुंडा के बीच में एक जगह पर्यटकों के लिए सुविधा केंद्र को भी विकसित किया जाना था। यह प्रोजेक्ट 2019 तक पूरा करने का प्रस्ताव था। सुधीर शर्मा ने कहा की वह सरकार से जानना चाहते हैं की इस प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति क्या है? इस रोप-वे प्रोजेक्ट को काम में देरी के कारण क्या है? सुधीर शर्मा ने कहा कि ये रोप-वे प्रोजेक्ट फऱवरी 2022 को निरस्त कर दिया गया है। इसका मुख्य कारण भूमि का उपलब्ध न होना बताया जा रहा है।
महत्त्वपूर्ण था प्रोजेक्ट
सुधीर शर्मा ने कहा कि शिमला रोप-वे प्रोजेक्ट, जिसे बाइपास से जोधा निवास तक जाना था और वह प्रोजेक्ट 2015 में उषा ब्रेको कंपनी को आबंटित किया गया था। इसे भी निरस्त कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट को साढ़े तीन साल में पूरा करने का प्लान था। इस पर 250 करोड़ रुपए की लागत आनी थी और इसे छह वर्ष में पूरा किया जाना था, लेकिन प्रदेश की राजधानी के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया गया।
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