हिमाचल प्रदेश

समाजसेवी संस्थाओं-प्रशासन के सहारे जीवन काटने को मजबूर, आपदा के कहर से वीरान पड़ी कुटला बस्ती

Gulabi Jagat
31 Aug 2023 1:03 PM GMT
समाजसेवी संस्थाओं-प्रशासन के सहारे जीवन काटने को मजबूर, आपदा के कहर से वीरान पड़ी कुटला बस्ती
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घुमारवीं: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला की घुमारवीं तहसील की सुंदर पहाड़ी पर बसे टकरेड़ा गांव की कुटला बस्ती पर बरपे से इस बार मौसम के कहर ने वीरान कर दिया है। 13 अगस्त की रात व 14 अगस्त सुबह हुई मूूसलाधार बारिश से कुटला बस्ती के करीब 13 परिवारों के 60 लोग बेघर हो गए। 14 अगस्त तडक़े पहाड़ी दरकने की आवाजें सुनकर घबराए लोगों के घर छूट गए और मजबूरी में लोगों को अब राहत कैंपों में आश्रय लेकर जीवन यापन करना पड़ रहा है। जहां पर प्रशासन व समाज सेवी संस्थाओं के सहारे अपना गुजर बसर कर रहे हैं। इन 60 लोगों के पास रहने को अब न घर है और न ही काम करने को खेत-खलियान। लोग बेबस होकर अपने खड़े मकानों और फटे हुए खेत खलियानों को देख रहे हैं। इन लोगों के पास अब मकान बनाने के लिए दूसरे स्थान पर सुरक्षित जमीन नहीं बची है। मौसम खुलने के बाद भी लोग अपने घरों को जाने से घबरा रहे हैं। आपदा से पीडि़त लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें जमीन व मकान उपलब्ध करवाए, जिससे वह दोबारा अपनी जिंदगी को पटरी पर ला सके।
बताते चलें कि बरसात के कारण पूरे प्रदेश में भयंकर तबाही हुई है, जिससे घुमारवीं उपमंडल भी अछूता नहीं रहा है। घुमारवीं के टकरेड़ा गांव की कुटला बस्ती पर मूसलाधार बारिश कहर बनकर बरपी है। पहाड़ी पर बसी इस बस्ती में हंसते खेलते परिवारों को बेघर कर दिया। पहाड़ी दरकने से मकानों के गिरने का खतरा हो गया। 14 अगस्त के तडक़े अभी लोग पूरी तरह से नींद से जाग भी नहीं पाए थे कि पहाड़ी दरकने की आवाजें सुनकर भयभीत हो गए। पंचायत प्रतिनिधियों व प्रशासन के अधिकारी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे तथा इस बस्ती में रहने वाले परिवारों को यहां से शिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। -एचडीएम
पहाड़ी से अभी भी गिर रहे पत्थर
मूसलाधार बारिश से बेघर हो चुके इन लोगों को अब टकरेड़ा स्कूल में राहत कैंप लगाकर ठहराया है, जबकि कुछ लोग आस-पड़ोस में भी रह रहे हैं। लोगों के मवेशी पड़ोसियों व रिश्तेदारों के घरों पर बंधे हैं। मूसलाधार बारिश से बेघर हुए लोगों में शुमार प्रेम लाल, जोगिंद्र सिंह, कृष्ण, लेख राम, राकेश कुमार, संदीप व जय लाल सहित अन्यों ने बताया कि मूसलाधार बारिश से टकरेड़ा गांव की कुटला बस्ती के ऊपर वाली पहाड़ी दरक गई। पहाड़ी से अभी भी बड़े-बड़े पत्थर गिर रहे हैं।
टकरेड़ा स्कूल में ठहराए प्रभावित
पहाड़ी पर अब लोगों को घर बनाना मुश्किल है। प्रशासन ने उन्हें राहत कैंप लगाकर टकरेड़ा स्कूल में ठहराया है। जहां पर गांव के लोग, सामाजिक संस्थाएं तथा प्रशासन की मदद से जीवन चल रहा है। स्कूल के साथ सुरेश कुमार के घर पर सारा खाना बनता है। जहां पर प्रकाश चंद रसोइया मुफ्त में खाना बनाकर आपदा से पीडि़त लोगों की मदद कर रहे हैं।
आपदा प्रभावितों की जमीन दे सरकार
मूसलाधार बारिश से बेघर हो चुके लोगों ने सरकार से जमीन तथा मकान के निर्माण की मांग की है। लोगों का कहना है कि मूसलाधार बारिश से उनके मकानों को खतरा पैदा हो गया है। उनके पास अब घर बनाने के लिए न तो कोई सुरक्षित जमीन बची है और न ही पैसा।
घुमारवीं में यहां भी खतरा बरकरार
घुमारवीं उपमंडल में मूसलाधार बारिश से पहाडिय़ां दरकने से कई गांवों के कुछ घरों को खतरा बरकरार है। इनमें टकरेड़ा की कुटला बस्ती, पलासला गांव, त्यून खास का फ्योडी गांव, बल्लू-खरयाला गांव, पनौल-अमरपुर, कोठी, पन्याला, कोटलू-ब्राहम्णां, छत, मैहरन- नैण व नैण गुजरां सहित अन्य गांवों के कुछ घर शामिल है।
राहत कैंपों के सहारे कट रहा जीवन
मूसलाधार बारिश से बेघर हुए लोगों का जीवन राहत कैंपों में व्यतीत हो रहा है। कई लोग पड़ोसियों व रिश्तेदारों के घरों पर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। घुमारवीं उपमंडल के करीब 354 लोग राहत कैंपों व पड़ोसियों के घरों में रह रहे हैं।
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