हिमाचल प्रदेश

पहली बार धर्मशाला में बादल फटने से मचा हडक़ंप, इस घटना ने प्रशासन की बढ़ाईं चिंता

Renuka Sahu
3 Sep 2022 3:03 AM GMT
For the first time, there was a stir due to cloudburst in Dharamsala, this incident raised the concern of the administration
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न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

बारिश के घर कहे जाने वाले धर्मशाला में हर वर्ष भारी बरसात होती है, लेकिन बादल फटने जैसे घटना कभी नहीं हुई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बारिश के घर कहे जाने वाले धर्मशाला में हर वर्ष भारी बरसात होती है, लेकिन बादल फटने जैसे घटना कभी नहीं हुई। शुक्रवार को दोपहर बाद खनियारा के इंद्रूनाग मंदिर के निकट अचानक हुई घटना ने क्षेत्रवासियों ही नहीं, बल्कि शासन व प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। जोन पांच में स्थित संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह तबाही मचा सकती हैं। भू-विज्ञानी भी इस बात को लेकर चिंता जता रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक व बुजुर्ग भी कह रहे हैं कि धर्मशाला में भारी बारिश तो अनेकों बार हो चुकी है, लेकिन यहां बादल फटने की घटना पहली बार देखी। किसी समय धर्मशाला ने बारिश के लिए चेरापूंजी का भी रिकार्ड तोड़ दिया था, लेकिन यहां बादल फटने की घटना कभी नहीं हुई। खनियारा बाजार से ऊपरी पहाड़ी से दोपहर करीब तीन बजे अचानक एक बड़े धमाके की आवाज के साथ ही छोटे से नाले में पानी की जगह बड़ी मात्रा में अचानक मलबा वहना शुरू हो गया।

मंदिर के गेट को तोड़ता हुआ यह मलबा दुकानों को चीरता हुआ लोगों के घर आंगन से होते हुए कई गांवों को चपेट में लेता हुआ इंद्रूनाग से त्रापड़ा तक पहुंच गया। अचानक हुई इस घटना से डरे सहमे लोगों ने चीखो पुकार के साथ एक-दूसरे को बचाने का प्रयास करते हुए सबको अलर्ट किया। धर्मशाला में ऐसी तबाही पिछले वर्ष मांझी खड्ड व भागसूनाग में फ्लड आने से हुई थी, लेकिन पिछले वर्ष धर्मशाला में बादल नहीं फटा था, फ्लड आया था। इस वर्ष बादल फटने की घटना ने सबको हैरत में डाल दिया है। पिछले वर्ष ही इसी रेंज में शाहपुर क्षेत्र की वोह वैली में ऐसी दर्दनाक घटना हुई थी, जिसमें एक दर्जन के करीब लोगों की जान जाने के साथ कई घर भी जमींदोज हो गए थे। वोह में हुई घटना के दूसरे ही साल इसी रेंज में खनियारा में हुई बादल फटने की घटना बड़ी चिंता की ओर इशारा कर रही है। ऐसे में अब भू-विज्ञानी इसे साधारण घटना नहीं मान रहे हैं।
क्या कहते हैं भू-विज्ञानी
पहाड़ों पर लगातार हो रहे इरोजन को लेकर भू-विज्ञानी व डा. सुनील धर का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भविष्य में भी ऐसी घटनाएं बढऩे की संभावनाएं हैं। धर्मशाला जोन पांच में है और संवेदशील क्षेत्र में आता है। ऐसे में यहां संभावनाएं बढ़ जाती हैं। धौलाधार रेंज में लैंड स्लाइड पहले से एक्टिव हैं। लोगों को पुराने चैनल यानी जहां से पानी गुजरता है उन्हें छोड़ कर ही निर्माण करना चाहिए। लैंड यूज चेंज होता है और जब लोग बसते हैं, घर बनाते हैं तो पानी निकलने के पुराने चैनल बंद हो जाते हैं, जिससे ऐसी घटनाएं होने पर तबाही मचती है। ऐसे में निर्माण करते समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। डा. धर का कहना है कि लगातार कलाइमेट चेंज हो रहे हैं, यह उसी का प्रभाव है। बादल फटना कम समय में एक स्थान पर अधिक बारिश होने को कहा जाता है। इस क्षेत्र में ऐसी घटनाओं का होना सुखद संकेत नहीं है।
बच्चों की जिंदगियों पर इंद्रूनाग हुए मेहरबान
घुरलू पुल पर थे बच्चे-अभिभावक व दुकानदार, बाढ़ देखकर भागकर बचाई जान
नरेन कुमार – धर्मशाला
धर्मशाला के खनियारा में बादल फटने का खौफनाक मंजर दिखा। मलबे की बाढ़ सामने आने वाली हर चीज को रौंदते हुए आगे बढ़ रही थी।
इसी बीच बारिश के देवता इंद्रूनाग व अघंजर महादेव सहाय हो गए। उनकी मेहरबानी से स्कूली बच्चों संग अभिभावकों, दुकानदारों व लोगों की जिंदगियों पर कोई आंच नहीं आई।
पौने तीन बजे के करीब स्कूलों में छुट्टी हो गई थी और छोटे बच्चे घुरलू पुल पर पहुंच चुके थे। अभिभावक भी अपने बच्चों को लाने के लिए वहां एकत्र हो गए थे। घुरलू नाले में बाढ़ देखकर दुकानदारों व लोगों ने भागकर जान बचाई। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों व दुकानदारों ने भी स्थिति को भंयकर होता देख जल्दी से सीटियां बजाकर लोगों को पुल से हटने को कहा। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 10-15 मिनट सब कुछ मलबे के ढेर में बदल दिया। स्थानीय लोगों अशोक आहूजा व नितिन कुमार ने आंखों देखा मंजर दिव्य हिमाचल के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि भारी आवाज व बाढ़ आने का आभास हुआ तो दुकान से निकलकर जल्द से पुल में खड़े लोगों व बच्चों को हटने के लिए सीटियां बचाई। इसके बाद सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए भागे। नितिन ने प्रशासन, पुलिस को सूचित किया। साथ ही स्कूल में प्रिंसीपल को फोन कर बच्चों को छुट्टी न किए जाने का भी निवेदन किया। (एचडीएम)
पिता ने गोद में उठाकर लाई बच्ची
स्कूली बच्चों के घुरलू नाले के आर-पार फंसे रहने की स्थिति ने सबको चिंता में डाल दिया था। इस बीच माता-पिता भी अपने बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए दोनों तरफ पहुंच गए, लेकिन बिगड़े हालात के कारण कहीं से भी जाने का रास्ता नहीं था। ऐसे में घंटों बाद मलबे की बाढ़ शांत होने पर एक पिता अपनी बच्ची को मलबे के बीच ही जाकर गोद में उठाकर अपने घर ले आया। कई बच्चों को स्कूलों के बाद अपने घरों तक पहुंचने में बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ी। पुलों के बाढ़ में बह जाने व पूरी तरह से ध्वस्त होने के कारण आवाजाही का कोई सुरक्षित रास्ता भी नहीं बचा था।
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