हिमाचल प्रदेश

हिमाचल में मछली उत्पादन पर संकट

Gulabi Jagat
10 April 2023 9:23 AM GMT
हिमाचल में मछली उत्पादन पर संकट
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शिमला: हिमाचल प्रदेश में मछली उत्पादन पर संकट मंडरा रहा है। प्रदेश में मछली उत्पादन बढऩे की बजाय घट रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में वर्ष 2020-21 में मछली उत्पादन 605.44 मीट्रिक टन था, तो वहीं वर्ष 2021-22 में यह घटकर 601.008 हो गया। वहीं वर्ष 2022-23 में मछली उत्पादन घटकर 503.49 प्रतिशत रह गया है। एक और जहां सरकार हिमाचल में मछली उत्पादन से रोजगार प्रदान करने की बात कर रही हैं, तो वहीं मछली उत्पादन में आ रही गिरावट चिंताजनक है। हिमाचल प्रदेश में पौंग डेम को छोडक़र बाकी सभी जगहों पर मछली उत्पादन घट रहा है। चाहे गोविंद सागर झील हो, कौल डैम हो, चमेरा डैम हो या फिर रणजीत सागर डैम हो सभी जगहों पर मछली उत्पादन में गिरावट देखी गई हे। मत्स्य पालन विभाग का कहना है कि प्रदेश में मछली उत्पादन मेें कई कारणों से गिरावट आ रही है। पहला कारण है कि प्रदेश में मछली प्रजन्न के स्थान नष्ट हो रहे हैं। प्रदेश में चल रहे विभिन्न विकासात्मक कार्यों से विभिन्न स्थानों पर खुदाई हो रही है। खुदाई से निकले मलबे को नदी नालों, या उनके समीप डंप किया जा हरा है।
बारिश के दौरान पानी के बहाव से मलबा नदियों में एकत्रित होता है, जिससे मत्स्य प्रजनन स्थान नष्ट हुए है। इसके अलावा बांधों द्वारा बार-बार तेजी से पानी छोडऩे और अधिक गाद की मात्रा होने के कारण जलाशयों के प्राकृतिक स्थानों पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। विभाग का कहना है कि बांधों से बार-बार नियमित रूप से पानी छोडऩे के कारण भी पानी के स्तर में बार-बार उतार चढ़ाव आ रहा हे। इससे मत्स्य प्रजन्न व अंगुलिकाओं पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। वातावरण में वैश्चिक बदलावों के कारण बरसात समय पर न होने से भी मत्रुस प्रजनन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
बड़ी मछलियों का शिकार
मत्स्य विभाग का कहना है कि मत्स्य आखेट के कारण बड़े आकार की मछलियों का शिकार हो जाने के कारण भी ब्रुडर मछलियों की संख्या में कमी हो रही है। इससे मत्स्य उत्पादन कम हो रहा है। सडक़ों के निर्माण से निकलने वाले मलबे को नदी-नालों में फेंका जाता है।
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