हिमाचल प्रदेश

पुलिस बैंड के नाम रही पहली सांस्कृतिक संध्या, पहाड़ी व हिन्दी गानों पर झूमा शिमला

Shantanu Roy
2 Jun 2023 9:25 AM GMT
पुलिस बैंड के नाम रही पहली सांस्कृतिक संध्या, पहाड़ी व हिन्दी गानों पर झूमा शिमला
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शिमला। शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर वीरवार को अंतर्राष्ट्रीय समर फैस्टीवल का आगाज हो गया। फैस्टीवल की पहली सांस्कृतिक संध्या पर पुलिस बैंड हारमनी ऑफ द पाइन्स के कलाकारों ने खूब समां बांधा। पुलिस बैंड की टीम ने हवा के साथ-साथ, संदेशे आते हैं सहित देशभक्ति के गीतों पर प्रस्तुतियां दीं। खचाखच भरे रिज मैदान पर स्थानीय लोग और सैलानी इन गानों पर खूब झूमे। लोक गायक लोकेंद्र चौहान और हन्नी नेगी ने भी एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। इसके अलावा गोपाल शर्मा ने अपने गानों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। बता दें कि इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहे। इससे पहले स्कूली छात्र-छात्राओं सहित उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा भी प्रस्तुति दी गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब राज्यों के कलाकारों ने पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान पंडाल पूरी तरह भरा हुआ था।
कई सैलानी ग्रुपों में डांस करते रहे। शुक्रवार को फैस्टीवल की दूसरी सांस्कृतिक संध्या पर कुलदीप शर्मा रंग जमाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय समर फैस्टीवल के दौरान शिमला के रिज मैदान व माल रोड पर श्वान प्रदर्शनी, महानाटी व रस्साकशी प्रतियोगिता, बैंड प्रदर्शनी, मुशायरा, फैशन शो, प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता, व्यंजन उत्सव, पारम्परिक लोक वाद्य यंत्र प्रतियोगिता, कच्ची घोडी, बहुरूपिया नृत्य, घूमर व फाग नृत्य, भंगड़ा व जिन्दुआ नृत्य, छपेली नृत्य, रउफ नृत्य व पुष्प प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां पर सुबह से शाम तक कार्यक्रम चलते रहेंगे। पहली बार रिज मैदान पर अंतर्राष्ट्रीय समर फैस्टीवल देखने को मिला कि प्रैस ब्लॉक को नहीं बनाया गया है, सिर्फ वीआईपी ब्लॉक ही बनाया गया है। इस बार प्रैस के लिए कोई पास की सुविधा नहीं है। जिला प्रशासन ने वीआईपी पास ही बनाए हंै। यह पहली बार देखने को मिला है। इसके अतिरिक्त वीआईपी ब्लॉक के ऊपर तंबू लगाए गए हैं जिस कारण बाहर से देखने वाले लोगों को अंतर्राष्ट्रीय स्टेज दिखाई नहीं दे रहा है। रिज मैदान पर आम जनता के बैठने के लिए भी कुर्सियों की संख्या काफी कम की गई है। इस कारण काफी कम संख्या में लोग कुॢसयों पर बैठ पाए।
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