हिमाचल प्रदेश

खेतों को किया कैमिकल फ्री, पुरस्कार में नेकराम को राष्ट्रपति से मिला पद्मश्री

Shantanu Roy
8 April 2023 10:07 AM GMT
खेतों को किया कैमिकल फ्री, पुरस्कार में नेकराम को राष्ट्रपति से मिला पद्मश्री
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करसोग। रसायन मुक्त खेती के दम पर नौ अनाज की पद्धति के संरक्षण एवं संवर्धन की कसौटी पर खरा उतरने पर करसोग के किसान नेक राम शर्मा को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। खेतों को कैमिकल फ्री करने व विलुप्त हो रहीं पारंपरिक फसलों को पुनर्जीवित करने की अलख जगाने वाले इस शख्स ने अपना जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समॢपत कर दिया है। जंगलों को बचाने की मुहिम से लेकर विलुप्त हो रही पारंपरिक खेती को संरक्षित करने के जुनून ने नांज गांव के किसान को पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों की फेहरिस्त में शामिल कर दिया। राष्ट्रपति भवन दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गत बुधवार को नेक राम शर्मा को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह व सांसद प्रतिभा सिंह सहित पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नेक राम शर्मा को बधाई दी है। पद्मश्री पुरस्कार तक पहुंचने के लिए नेक राम शर्मा का सफर 90 के दशक से शुरू हुआ। 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी पाने में नाकाम रहने के बाद उन्होंने पारंपरिक खेतीबाड़ी को ही अपनी आजीविका का साधन बनाने की ठान ली। गांव में चल रही रसायन युक्त जहरीली खेती ने उनके जहन में कई सवाल खड़ेे कर दिए। जिसके चलते उन्होंने ठान लिया। रसायन मुक्त खेती को ही वह अपना लक्ष्य बनाएंगे।
पारंपरिक खेती को ही आजीविका का मुख्य साधन बनाने के लिए कसरत तेज कर दी। इसके लिए बाकायदा उन्होंने नौणी तथा पालमपुर कृ षि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। उस वक्त रसायन मुक्त पारंपरिक मोटे अनाजों की खेती शुरू करने के लिए बीजों का न होना सबसे बड़ी चुनौती बन कर सामने आया, ऐसे में गांव के ही बुजुर्ग किसानों की मदद से उन्होंने पुराने बीजों को संग्रहित करना शुरू किया तथा उन्हें नौ अनाज पद्धति के तौर पर विकसित किया। समय के साथ ही उन्होंने नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को बढ़ाते हुए गांव के ही अन्य किसान परिवारों को भी जागरूक किया। रसायन मुक्त खेती से नौ अनाज पद्धति को पुनर्जीवित करते हुए बीजों को संरक्षित कर उनका दायरा बढ़ाने के लिए उन्होंने नि:शुल्क बीज वितरण का कार्य भी शुरू किया, जिसके चलते क्षेत्र के सैंकड़ों किसानों ने भी पौष्टिकता से भरपूर नौ अनाजों को उगाना शुरू कर दिया। नौ अनाजों को एक ही समय में खेतों में बिना किसी रासायनिक खादों का उपयोग किए उगाना तथा पानी की लागत को भी तकरीबन 50 प्रतिशत तक कम करना इस नौ अनाज पद्धति का अहम हिस्सा है। नेक राम शर्मा की मानें तो इन फसलों को रसायन मुक्त रखने से जहां मानव जीवन पर इनके सेवन से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहीं कई तरह की बीमारियों से भी निजात मिलती है। नौ अनाज एक प्राकृ तिक अंतर फसल विधि है, जिसमें नौ खाद्यान्न (अनाज) बिना किसी रासायनिक उपयोग के जमीन के एक ही टुक ड़े पर उगाए जाते हैं। इसमें जहां पानी का उपयोग कम होता है, वहीं भूमि की उर्वरकता भी बढ़ती है। बहरहाल, 3 दशक की कड़ी मेहनत के दम पर करसोग के किसान को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
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