हिमाचल प्रदेश

342 करोड़ रुपये की DPR स्वीकृति के लिए सरकार को भेजी, सिरमौर के 818 गांवों में होगा यह बड़ा काम

Gulabi Jagat
13 July 2022 1:49 PM GMT
342 करोड़ रुपये की DPR स्वीकृति के लिए सरकार को भेजी, सिरमौर के 818 गांवों में होगा यह बड़ा काम
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इस कार्य को जल शक्ति विभाग जलजीवन मिशन के तहत अंजाम देगा
नाहन: सिरमौर जिले के जल शक्ति विभाग ने तकरीबन 342 करोड़ रुपये की एक डीपीआर तैयार कर सरकार को स्वीकृति के लिए भेजी गई है, जिसके तहत जिले के 818 गांवों में पेयजल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. इसको लेकर जल शक्ति विभाग ने खाका भी तैयार किया है. दरअसल विभाग ने ऐसे 818 गांव चुने हैं, जहां भविष्य में पेयजल किल्लत से लोगों को निजात दिलाई जाएगी. ऐसे गांवों में चेक डेम (check dams in sirmaur villages) बनाए जाएंगे. टैंकों का निर्माण किया जाएगा और पेयजल स्रोतों के कायाकल्प संबंधी कार्यों को अमलीजामा पहनाया जाएगा.
इस कार्य को जल शक्ति विभाग जलजीवन (Jal Shakti Vibhag Sirmaur) मिशन के तहत अंजाम देगा. बता दें कि जल शक्ति विभाग के माध्यम से भेजी गई यह डीपीआर प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजी जानी है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही विभाग प्राक्कलन के मुताबिक कार्य शुरू करेगा. इस संबंध में डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम ने विस्तार से जानकारी दी. मीडिया से बात करते हुए डीसी सिरमौर राम कुमार गौतम (DC Sirmaur Ram Kumar Gautam) ने बताया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिला के 818 गांवों में पेयजल स्त्रोतों का सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 342 करोड़ रूपए की एक प्रपोजल जल शक्ति विभाग के माध्यम से प्रदेश सरकार को भेजी गई है, ताकि गर्मी के मौसम में पेयजल समस्या होने की सूरत में संबंधित पेयजल स्त्रोतों को पेयजल योजनाओं के साथ जोड़ा जा सके. इसके तहत पेयजल स्त्रोतों का जीर्णोद्वार किया जाना है. राशि के स्वीकृत होने पर 818 गांव के लोगों को भविष्य में पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.
बता दें कि जिला सिरमौर में कई गांव ऐसे हैं, जहां गर्मियों में लोगों को पेयजल किल्लत (Drinking water shortage in Sirmaur) का सामना करना पड़ता आ रहा है. पच्छाद क्षेत्र के घिन्नी घाड़ के गांव में गर्मियों में लोगों को पेयजल संकट से दो चार होना पड़ता है. वहीं, धारटीधार व सैनधार क्षेत्र के अलावा पांवटा साहिब के दूरदराज के गांव, शिलाई व संगड़ाह इलाके के गांवों में भी गर्मियों में लोगों को दिक्कतें पेश आती हैं. इसी के तहत विभाग ने ऐसे गांव चयनित किए, जहां सबसे ज्यादा पेयजल किल्लत बनी रहती है. लिहाजा विभाग द्वारा भेजी गई डीपीआर की स्वीकृति मिलते ही भविष्य में लोगों को लंबे वक्त तक पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा.
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