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केंद्रीय मंत्रालय का नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट सीधा कंट्रोल, एक कि.मी. निर्माण का खर्च 12.62 करोड़
हिमाचल न्यूज़: बद्रीपुर से फेडिस पुल तक नेशनल हाईवे 707 (NH 707) का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रोजेक्ट की डीपीआर 2012 में बनी थी। कार्य के धीमी गति से होने के कारण केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने इसे 2020 में सीधे ही अपने नियंत्रण में ले लिया था। इससे पहले राज्य के लोक निर्माण विभाग के एनएच विंग द्वारा इस कार्य को किया जा रहा था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक 103 किलोमीटर लंबे हाईवे पर 1300 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है। यानि एक किलोमीटर पर औसतन 12.62 करोड़ खर्च हो रहे हैं। देश के केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अधूरे निर्माण कार्य को लेकर खासे गंभीर हैं। लिहाजा, ये माना जा सकता है कि इसी वजह से मंत्रालय ने इस हाईवे के निर्माण कार्य को सीधे अपने नियंत्रण में लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रालय ने इस हाईवे के निर्माण कार्य को 6 से 12 महीने में पूरा करने का अंदरूनी लक्ष्य रखा हुआ है, लेकिन जिस तरीके से बारिश में भूस्खलन हुंआ है, उससे लक्ष्य को पूरा करने की चुनौती भी कम नहीं है। बता दें कि हाईवे को चौड़ा करने का कार्य लोक निर्माण विभाग के एनएच विंग के पास था, लेकिन अब धरातल पर भूस्खलन व लोगों के गुस्से का सामना मंत्रालय के अधिकारियों को करना पड़ रहा है। बीती रात भी खजियार के समीप लैंड स्लाइड के कारण हाईवे अवरुद्ध हो गया। हालत ये हो गई कि सड़क पर ही पानी बहने लगा। पहले, इस हाईवे को लालढांग-हाटकोटी भी कहा जा रहा था, लेकिन असल में ये कार्य अब बद्रीपुर से शिमला जिला के फेडिस पुल तक होना है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईवे का निर्माण कार्य पूरा होने से न केवल शिमला जिला के रोहडू उपमंडल को फायदा मिलेगा, बल्कि उत्तराखंड के सीमांत इलाके भी लाभान्वित होंगे। सिरमौर के शिलाई व संगड़ाह उपमंडलों को फायदा मिलेगा। खास बात ये होगी कि सेब की फसलों को हरियाणा व उत्तराखंड की मंडियों तक पहुंचाने में बागवानों को आसानी होगी।
हाईवे के निर्माण में स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अवैज्ञानिक खुदाई के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा अवैध डंपिंग का मामला भी उठता रहा है। उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मंत्रालय के सहायक अभियंता सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि पहले पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा लूज स्ट्राटा (Loose Strata)पानी को कुछ स्थानों पर रोक देता है। उन्होंने कहा कि खजियार व तिलोरधार में इस तरह के स्थान चिन्हित किए गए हैं। एक सवाल के जवाब में सहायक अभियंता ने कहा कि प्रोजैक्ट पर 1300 करोड़ की राशि खर्च हो रही है। बद्रीपुर से फेडिस पुल तक 103 किलोमीटर हाईवे का निर्माण होना है। उन्होंने कहा कि 2020 में केंद्रीय मंत्रालय ने निर्माण कार्य को सीधा नियंत्रण में ले लिया था। इसी के बाद परियोजना निदेशक के अलावा बाकी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।